यह हैं शाजापुर के हाल:: कहीं हाइटेंशन लाइन के नीचे निजी अस्पताल तो कहीं अग्निशमन यंत्र ही एक्सपायर्ड
जबलपुर के निजी अस्पताल में सोमवार को हुए भीषण अग्निकांड में आठ लोगों की मौत के बाद मरीजों से मोटा शुल्क वसूलने वाले निजी अस्पतालों में सुरक्षा इंतजामों की पोल खुल गई है। अस्पतालों में आपात स्थिति से निपटने के पर्याप्त इंतजाम तक नहीं है। शाजापुर शहर के भी यहीं हाल हैं। यहां कहीं रहवासी मकान में नर्सिंग होम है तो कहीं खतरनाक हाइटेंशन लाइन के नीचे ही अस्पताल का संचालन हो रहा है। कई जगह तो आग बुझाने वाले यंत्र ही एक्सपायर्ड हो चुके हैं, ऐसे में आग लगने पर वे किसी काम के नहीं होंगे।
हादसे से बचने के इंतजाम नाकाफी
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
शाजापुर शहर में छह बड़े अस्पतालों और नर्सिंग होम सहित दर्जन भर के करीब ऐसे अस्पताल हैं, जहां मरीजों को भर्ती किया जाता है। जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अग्निकांड के बाद जब संवाददाता ने शाजापुर के अस्पतालों का रूख किया तो सिर्फ नए बने दो अस्पतालों में आपात स्थिति से निपटने के इंतजाम नजर आए। बाकी के अस्पतालों में इस तरह के इंतजाम नहीं है। आग से बचाव के लिए जरूरी मापदंडों पर कई अस्पताल 100 फीसदी खरे नहीं हैं। कहीं दक्ष स्टाफ ही नहीं है तो कहीं आग बुझाने के पर्याप्त उपकरणों का अभाव है।
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बहुमंजिला व्यावसायिक भवनों में सुरक्षा इंतजामों के लेकर नेशनल बिल्डिंग कोर्ट (एनबीसी-2016) अंतर्गत मापदंड निर्धारित किए हैं। अगर इन मापदंडों को देखें तो इसके हिसाब से कई निजी अस्पताल सहित अन्य कमर्शियल भवनों में सौ फीसदी सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं। कई जगह अग्निशमन के लिए उपकरण लगे भी तो न समय पर इनकी जांच हो रही है और नहीं स्टाफ को उपयोग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कई जगह तो ये एक्सपायर्ड हो चुके हैं। अस्पतालों में तो फायर सिस्टम लगने के बाद मॉकड्रील तक नहीं की गई है। सुरक्षा मानकों को लेकर लापरवाहियां भी बरती जा रही है।
सिर्फ अग्निशामक यंत्र काफी नहीं
बड़े व्यावसायिक भवनों में अग्निशामक यंत्र (एक्सटिंग्विशर) लगाकर यह मान लिया जाता है कि आग लगने पर काबू पा लिया जाएगा जबकि यह इंतजाम पर्याप्त नहीं है। अग्निशामक यंत्र प्राथमिक सुरक्षा उपकरण मात्र है। एक एक्सटिंग्विशर की उम्र महज डेढ़ मिनट की होती है। उपयोग करने पर यह 90 सेकंड में ही खाली हो जाता है। इसलिए अन्य उपकरण भी होना चाहिए।
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नहीं होती जांच
एक्सटिंग्विशर के साथ ही कई जगह अन्य जरूरी उपकरण भी लगाकर सुरक्षा व्यवस्था को हमेशा के लिए पर्याप्त मान लिया जाता है, जबकि जरूरी है कि समय-समय पर उपकरणों की जांच हो। एक-दो महीने में इनका उपयोग कर देखना चाहिए कि यह ठीक से चल रहे हैं या नहीं। अगर इनमें कुछ खराबी है तो आग लगने के बाद इन्हें सुधारने का समय नहीं मिलेगा।
दक्ष स्टाफ का होना जरूरी
आग लगने की स्थिति में उपकरणों का तत्काल व सही तरीके से उपयोग किया जा सके, इसके लिए दक्ष स्टाफ होना जरूरी है। नियमानुसार फायर ब्रिगेड के माध्यम से बिल्डिंग के कर्मचारियों को ट्रेनिंग देना चाहिए। विशेषज्ञों की मौजूदगी में ही 15 दिन से एक महीने में मॉक ड्रील होना चाहिए ताकि कर्मचारी अभ्यासरत रहे, लेकिन शाजापुर में ऐसा कुछ नहीं होता।
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यह है जरूरी
किसी भी बहुमंजिला भवन में पर्याप्त संख्या में फायर एक्सटिंग्विशर, फायर होज रील, फायर होज बॉक्स, पंप हाउस, वाटर टैंक, बेसमेंट व अन्य तल पर स्प्रींकलर, डिटेक्टर होना, पृथक से आपातकालीन मार्ग व द्वार होना जरूरी है।