SHAJAPUR: जिहाद का मतलब ऐसी बुराइयों से जंग है, जो इंसानियत के खिलाफ हो: कुरैशी
मोहर्रम के सातवें दिन अकीदत के साथ निकाला मेंहदी का जुलूस, महिलाओं ने लगाए मन्नत के छापे, जगह-जगह पिलाया दूध और शरबत, आल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के जिलाध्यक्ष ने कहा-जिहाद का मतलब सिर्फ लड़ाई नहीं बल्कि ऐसे नियमों और बुराइयों से जंग है, जो इंसान और इंसानियत के खिलाफ हो।
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
मोहर्रम की सात तारीख को शहर में मातमी धुन पर मेंहदी का जुलूस स्थानीय महूपुरा क्षेत्र से मुस्लिम समाजजनों द्वारा निकाला गया। हजरत कासिम की याद में निकाले गए इस मेंहदी के जुलूस में समाजजन या अली, या हुसैन के नारे लगाते हुए शामिल हुए।
कोरोनाकाल के बाद दो वर्ष पश्चात मोहर्रम पर्व के सातवें दिन मुस्लिम समुदाय ने शहर में मेंहदी का जुलूस निकाला और सबिल याने राहगीरों को दूध और शरबत पिलाया। जुलूस महूपुरा लश्करवाड़ी से शनिवार दोपहर 3 बजे सरदार मूसा आजम खान के मार्गदर्शन में शुरू हुआ, जिसमें पटेलवाड़ी, डांसी के अखाड़े भी शामिल हुए। जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ बड़वाले बाबा के यहां पहुंचा, जहां पर फातेहा पढक़र रेवड़ी का तबर्रूक बांटा गया। इसी तरह स्थानीय मोहल्ला दायरा से भी मेहंदी का जुलूस निकाला गया, जो छोटा चौक पहुंचा और दुलदुल को मेंहदी चढ़ाई।
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जूलूस में शामिल मोहर्रम कमेटी के पदाधिकारी।
नाइंसाफी को स्वीकार नहीं करना चाहिए
आल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के जिलाध्यक्ष सज्जाद अहमद कुरैशी ने बताया कि इस्लामी साहित्य के अध्ययन से पता चलता है कि जिहाद का मतलब सिर्फ लड़ाई नहीं बल्कि ऐसे नियमों और बुराइयों से जंग है, जो इंसान और इंसानियत के खिलाफ हो। करबला के जंग के जरिये पैगम्बर के नवासे ने पूरी दुनिया को यह पैगाम दिया कि जालिम कितना भी ताकतवर हो उसकी नाइंसाफी को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
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बिना शस्त्र के निकाला जुलूस
गौरतलब है कि प्रशासन ने जुलूस के दौरान किसी भी तरह के शस्त्रों के प्रदर्शन पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है, जिसके चलते इस बार भी समाज के लोगों ने मेहंदी के जुलूस में शस्त्रों को शामिल नहीं किया। महूपुरा से निकले मेहंदी के जुलूस का एबी रोड पर थाने के पीछे स्थित बड़ वाले बाबा की दरगाह पर समापन हुआ। इस मौके पर मोहर्रम कमेटी सदर इमरान खरखरे, कमेटी के खजांची अकरम ठेकेदार, जनरल सेकेट्री डॉक्टर मौजूद मोहम्मद, मीडिया प्रभारी शफीक खान, सरपरस्त मिर्जा सलीम बेग, शेख शमीम, असलम शाह, इरशाद खान, मिर्जा सोहराब बेग, अखलाक हुसैन मदनी, पटेलवाड़ी के अकील पटेल, आला पटेल आदि मौजूद थे।