गगन दमामा बाजयो: पीयूष मिश्रा की पटकथा से जीवंत होगी शहीदों की गौरव गाथा, लाइट एंड साउंड के साथ शाजापुर में पहली बार थियेटर आर्टिस्ट देंगे प्रस्तुति

शाजापुर के गांधी हॉल में आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत प्रसिद्ध लेखक और कहानीकार पीयूष मिश्रा की कहानी और पटकथा पर आधारित नाटक गगन दमामा बाजयो का मंचन होगा। दिल्ली की थियेटर आर्टिस्ट शिल्पी मारवाह इस नाटक का निर्देशन कर रही है। संभवत:  यह पहली बार है, जब शाजापुर में थियेटर कलाकार लाइट एंड साउंड के साथ नाटक की प्रस्तुति देने जा रहे हैं। शाजापुर जिला प्रशासन यह आयोजन कर रहा है। 

गगन दमामा बाजयो: पीयूष मिश्रा की पटकथा से जीवंत होगी शहीदों की गौरव गाथा, लाइट एंड साउंड के साथ शाजापुर में पहली बार थियेटर आर्टिस्ट देंगे प्रस्तुति
14 अगस्त की शाम को दिल्ली के लोक कला मंच पर गगन दामाना बाजयो का मंचन किया गया। इसी तरह आज शाम शाजापुर के गांधी हॉल में यह मंचन होगा।

गांधी हॉल में आज शाम होगा मंचन

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)

देशभक्ति से ओतप्रोत और अमर शहीदों का जीवन वृतांत प्रदर्शित करने वाले इस नाटक की प्रस्तुति गांधी हॉल में 15 अगस्त सोमवार शाम 7.30 बजे से शुरू होगी। यह नाटक 1920 से 1931 तक की घटनाओं प्रकाश डालता है, जो सुखदेव, राजगुरु, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ हुई थी। कैसे इन वीरों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। नाटक में क्रांतिकारी, भावुक और आंत विदारक गीत शामिल है, जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम की भावनाओं को मधुर रूप में व्यक्त करते हैं। इस नाटक में शहीदों के जीवन के प्रमुख क्षणों का वर्णन किया गया है। भगतसिंह के एक बच्चे के रूप में क्रांतिकारी विचारधारा में शामिल होने से 1923 में लाहौर के नेशनल कॉलेज में एक युवा व्यक्ति के रूप में उस विचारधारा में उनकी खोज, 23 मार्च 1931 को उनकी शहादत तक यह नाटक युवा क्रांतिकारियों की आंखों के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को देखता है।

रिनोवेट हुआ है गांधी हॉल

सोमवार सुबह गांधी हॉल में नाटक के मंचन की तैयारी चलती रही। एसडीएम शैली कनाश तैयारियों का जायजा लेते रही। गांधी हाल भी नए स्वरूप में तैयार है। यहां आकर्षक फ्लोरिंग, शेड, गैलरी, मंच बनाया गया है। यहां लाइट एंड साउंड की व्यवस्था भी की गई है, जो नाटक को सजीव बना देंगे। 

पीयूष मिश्रा का परिचय

फिल्मी और थियेटर में रुचि रखने वाले लोग पीयूष मिश्रा के परिचय के मोहताज नहीं है। ग्वालियर के रहने वाले पीयूष एक बेहतरीन अभिनेता, म्यूजिक डायरेक्टर, गीतकार, पटकथा लेखक, कहानीकार के साथ ही गायक भी हैं। उन्होंने मकबूल, गुलाल, गैंग्स ऑफ वासेपुर में गाने भी गाए हैं। फिल्म गुलाल में उनका गाया हुआ गीत ‘आरंभ है प्रचंड’ से हर कोई परिचित है। मिश्रा ने 1986 में दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वे थियेटर के साथ ही फिल्मी दुनिया में आ गए।

शिल्पी मारवाह का परिचय

दिल्ली की रहने वाली 34 वर्षीय शिल्पी मारवाह थियेटर कलाकार के साथ ही निर्देशक भी हैं। वे एक मंझी हुई अदाकारा हैं। अस्मिता थिएटर ग्रुप से दर्जनों नाटकों में लीड एक्टिंग कर चुकी शिल्पी ने 'रांझणा' फिल्म से अपना बॉलीवुड डेव्यू किया था।  सुखमंच थियेटर की ओर से शिल्पी के निर्देशन में 14 अगस्त को दिल्ली के लोककला मंच पर गगन दामाना बाजयो का मंचन किया गया। इसके बाद यह नाटक 15 अगस्त को शाजापुर में मंचित होगा।