खर्च का गणित: बैनर-झंडे गायब, फेसबुक, वाट्सऐप पर छा रहे प्रत्याशी
नगर पालिका चुनाव में इस बार का नजारा काफी अलग है। चुनावी खर्च की सीमा के कारण चुनावी प्रचार का तरीका भी बदल दिया है। वार्ड में गिनती के झंडे-बैनर दिखाई दे रहे और और प्रचार वाहनों का शोर भी कम ही सुनाई दे रहा है। इनकी जगह पार्टी-प्रत्याशियों ने अब प्रचार के लिए सोशल मीडिया को बड़ा जरिया बना लिया है।
बड़े आयोजन से कतरा रहे प्रत्याशी, लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ शाजापुर
निर्वाचन आयोग ने पार्षद चुनाव के लिए चुनावी खर्च की सीमा तय कर दी है। शाजापुर नगर पालिका चुनाव में पार्षद पद के लिए यह सीमा 1.5 लाख रुपए है। ऐसे में पहली बार पार्षद प्रत्याशियों को चुनावी खर्च का हिसाब-किताब रखना पड़ रहा है। इसका सीधा असर चुनाव प्रचार के तरीकों पर पड़ा है। शहर के अधिकांश वार्डों में प्रत्याशी या पार्टी के बैनर पोस्टर, फ्लेक्स, वॉल पेटिंग आदि कम ही नजर आ रहे हैं। प्रत्याशी वार्ड में प्रचार-वाहन सिर्फ एक ही चलवा रहे हैं। कार्यकर्ताओं का ध्यान रखने के लिए दिनभर बंटने वाले चाय-समोसे जैसे स्वल्पाहार पर भी लगाम लग गई है। अब प्रत्याशियों ने चुनावी प्रचार के लिए सोशल मीडिया के रूप में सस्ता तरीका चुन लिया। फेसबुक-वाटसऐप आदि माध्यमों से मय फोटो-वीडियो के साथ दिन में कई बार सैकड़ों मतदाताओं तक पहुंचाई जा रही है।
प्रचार के यह माध्यम, जो अब हो रहे कम
प्रचार वाहन: चुनावी खर्च सीमा तय होने से भले चुनाव प्रचार वाहनों की संख्या घटी हो लेकिन इनका महत्व बना हुआ है। राजनीतिक दलों के साथ निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए वार्ड में जनता तक अपना नाम व चेहरा पहुंचाने का मुख्य माध्यम प्रचार वाहन ही बने हुए हैं।
ढोल: प्रचार वाहन की तरह ढोल का महत्व चुनाव प्रचार में कम नहीं हुआ है। प्रत्याशी जब जनसंपर्क पर निकलते हैं तो उनकी रैली में ढोल बजाने वाले सबसे आगे चलते हैं। यह लोगों के लिए भी संकेत होता है कि प्रत्याशी जनसंपर्क करने पहुंच रहा है।
झंडे-बैनर- पहले की तुलना में इनकी संख्या काफी कम हो गई लेकिन इनके बिना चुनावी रौनक फीकी है। यही कारण है कि कम ही सही लेकिन प्रत्याशी इनका उपयोग कर रहे हैं। झंडे के साथ ही पार्टी के नाम का मफलर, टोपी, बैच आदि का उपयोग हो रहा है।
इस समय यह कर रहे प्रत्याशी
सोशल मीडिया: सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए सबसे अधिक फेसबुक का उपयोग हो रहा है। स्वयं, कार्यकर्ता के साथ ही एफबी अकाउंट हैंडल करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर भी हायर किए जाते हैं, जो पूरे चुनाव प्रत्याशी का एफबी, ट्वीटर, इंस्टाग्राम आदि प्लेटफॉर्म पर चुनाव प्रचार करते हैं। इसमें पोस्ट या एफबी पेज की रीच बढ़ाने की सुविधा भी दी जाती है, जिसके एवज एक लाइक के एक से डेढ़ रुपए तक चार्ज किया जाता है।
एमएमएस: प्रत्याशी को विजय बनाने संबंधित एसएमएस लोगों के मोबाइल पर भेजे जाते हैं। मैसेजिंग एजेंसी ही इतनी अधिक संख्या में मोबाइल नंबर भी उपलब्ध करवाता है।
टेली कॉलिंग: टेली कॉलर द्वारा मतदाताओं को फोन लगाकर संबंधित प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की अपील की जाती है। सामान्य स्थिति में एक दिन में 300-400 फोन लग जाते हैं।
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