Russia Ukrain War: दुबे परिवार के चेहरे पर लौट आई खुशी, खत्म होने वाला है इंतजार 

युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसी शाजापुर के दुबे परिवार की बेटी खुशी की जल्द ही वतन वापसी होने वाली है। हंगरी के वुडापेस्ट पहुंची खुशी दिल्ली जाने के लिए प्लेन में सवार चुकी है, शुक्रवार को प्लेन दिल्ली में लैंड कर देगा। इसके बाद भारत सरकार की ओर से खुशी को उसके घर तक पहुंचाया जाएगा

Russia Ukrain War: दुबे परिवार के चेहरे पर लौट आई खुशी, खत्म होने वाला है इंतजार 
बुडापेस्ट से खुशी ने भेजी यह तस्वीर

गुरुवार रात 9 बजे बुडापेस्ट से उड़ा प्लेन, अलसुबह पहुंचेगा भारत

खबरीराम 24 @ शाजापुर. यूके्रन  और रूस के बीच जारी युद्ध  में बमबारी में 6 दिन तक अपने आप को बचाए रखने और फिर सुरक्षित हंगरी के बुडापेस्ट पहुंचने वाली खुशी दुबे शुक्रवार सुबह तक दिल्ली पहुंच जाएगी। भारत तक की यात्रा के लिए दिए गए टोकन के बाद खुशी को बुडापेस्ट से दिल्ली की फ्लाइट का टिकट मिल गया। दिल्ली से खुशी को उसके घर शाजापुर तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा ही की जाएगी। इधर अपनी बेटी के जल्द ही सकुशल घर तक लौट आने की खबरों से दुबे परिवार के सदस्यों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही है।

घर तक पहुंचाएगी सरकार

खुशी दुबे के पिता शेरू दुबे ने बताया कि बुडापेस्ट पहुंचने के बाद खुशी को फ्लाइट का टोकन दे दिया गया था। इस टोकन के बाद उसे फ्लाइट का टिकट मिल गया। इस बुडापेस्ट के समयानुसार 3 मार्च को शाम साढ़े 4 बजे उसे बुडापेस्ट से दिल्ली की फ्लाइट का टिकीट मिला था। भारतीय समय अनुसार रात करीब 9 बजे के बाद खुशी फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हो गई। शेरू दुबे ने बताया कि बुडापेस्ट से दिल्ली पहुंचने में करीब 6 घंटे का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि अपनी बेटी को लाने के लिए वो दिल्ली जाने वाले थे, लेकिन इसके पहले ही सीआइडी की ओर से उन्हें मैसेज मिला कि उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। दिल्ली उतरने के बाद खुशी को अन्य बच्चों के साथ रेस्ट हाउस में ठहराया जाएगा। इसके बाद उसे घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सरकार की ही रहेगी। उन्होंने कहा कि एक-दो दिन में खुशी शाजापुर पहुंच जाएगी।

राजवीर और उत्कर्ष भी सकुशल

यूक्रेन के खारकीव में फंसे शहर के प्रतापसिंह गोहिल के पुत्र राजवीरसिंह गोहिल और दिलीप नागर के पुत्र उत्कर्ष नागर भी सकुशल बुडापेस्ट पहुंच गए है। राजवीर के पिता प्रतापसिंह गोहिल ने बताया कि राजवीर और उसके साथ कुल 15 बच्चे हिम्मत करके खारकीव से निकले और ट्रेन से मशक्कत करके बुडापेस्ट पहुंच गए। हालांकि इसमें से 4 बच्चे पोलैंड चले गए। शेष बच्चे हंगरी के बुडापेस्ट में आ गए है। यहां पर उन्हें फ्लाइट के लिए टिकट मिल गया है। जब भी फ्लाइट की टिकट मिलेगी इसके बाद वे लोग भारत लौट आएंगे।

 आज ही खारकीव से निकल जाना

प्रतापसिंह गोहिल ने बताया कि बेटा राजवीर उसका साथी उत्कर्ष और भारत के अलग-अलग हिस्सों के 15 विद्यार्थी खारकीव के एक ही होस्टल में शरण लिए हुए थे। लगातार बढ़ती जा रही बमबारी के कारण मन में राजवीर के सुरक्षित लौटने को लेकर चिंता होने लगी थी। गोहिल ने बताया कि 1 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन राजवीर से जब उन्होंने फोन पर बात की तो उन्होंने अपने बेटे को स्पष्ट कह दिया कि आज महाशिवरात्रि है। आज चाहे कुछ भी हो जाए तुम होस्टल से निकल जाना। फिर चाहे बम गिरे या फिर गोली चले। महादेव तुम्हारी रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद उनका बेटा और अन्य सभी विद्यार्थी खारकीव से निकल गए।

टे्रन में 20 घंटे खड़े-खड़े सफर

खारकीव से निकले राजवीर और उत्कर्ष सहित उनके साथियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जैसे-तैसे मशक्कत करके वे ट्रेन में तो सवार हो गए, लेकिन उन्हें करीब 20 घंटे तक बैठने के लिए भी जगह नहीं मिली। इसके बाद जैसे-तैसे कुछ नीचे बैठने के लिए कुछ जगह मिल पाई। वहीं बुडापेस्ट तक पहुंचने के दौरान करीब 40 घंटे के सफर में उन्हें खाने-पीने तक को कुछ नहीं मिला। भूखे-प्यासे केवल सुरक्षित निकलने के लिए बच्चों ने सफर किया। हालांकि अब वे सभी लोग सुरक्षित हैं। गोहिल ने बताया कि उन्होंने बुडापेस्ट पहुंचे अपने बेटे से बात की और कहा कि वे अभी बुडापेस्ट में ही कोई होटल में ठहरकर आराम कर लें।

अभी थोड़ा इंतजार और  

प्रतापसिंह गोहिल ने बताया कि फिलहाल इंडियन एअर लाइंस की तीन फ्लाइट से बच्चों को भारत वापस लाया जा रहा है। जबकि बुडापेस्ट में करीब 2 हजार से ज्यादा बच्चे पहुंच गए हैं। ऐसे में जब उनके बेटे का नंबर आएगा तभी वो भारत आ पाएगा। हालांकि राहत की बात यह है कि बच्चे सुरक्षित स्थान पर पहुंच चुके हैं और वापसी के लिए टोकन भी मिल गया है।