गणेश चतुर्थी 2022: मिट्टी के गजानन में नजर आई ‘महंगाई’, लोगों को पीओपी की मूर्ति पसंद आई
बुधवार को गणेश चतुर्थी पर घर-घर उत्सव मनाया गया। प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश महाराज भक्तों के घर पहुंचे। यहां भक्तों ने बाबा को विराजित कर लड्डू और मोदक का भोग लगाया गया। इसके साथ ही दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई। हर साल की तरह इस बार भी मिट्टी के गणेशजी विराजित करने की मुहिम चली, लेकिन इस मुहिम पर महंगाई की असर नजर आया। प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के मूर्ति की तुलना में मिट्टी की मूर्ति के दाम काफी ज्यादा हैं। ऐसे में कई भक्त पीओपी की मूर्ति ही घर लेकर गए।
चार गुना तक ज्यादा दाम
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
पर्यावरण संरक्षण के लिए कई संगठनों की ओर से मुहिम चलाई जाती है। संगठनों की ओर से मिट्टी के गणेशजी विराजित करने का आह्वान किया जाता है। साथ ही कार्यशाला के माध्यम से मिट्टी की गणेश मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके अलावा बाजार में भी मिट्टी से बनी मूर्तियां मिलती हैं। हालांकि इस बार मिट्टी के गणेशजी की मूर्तियों के दाम काफी ज्यादा थे। मिट्टी के गणेशजी की करीब एक फीट ऊंची मूर्ति के दाम की शुरुआत ही 500 रुपए से शुरू हुई, जो मूर्ति के आकार के साथ बढ़ते-बढ़ते 1500 से 2000 रुपए तक पहुंच गई। हालांकि हर व्यक्ति इतने ज्यादा दाम वहन नहीं कर सकता। ऐसे में कई लोग अपने बजट के अनुसार कम दाम में पीओपी की मूर्ति ही घर लेकर आए।
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अवसर का फायदा उठाते हैं व्यापारी
आमतौर पर लोग भगवान की मूर्तियों और पूजन सामग्री को बगैर मोल-भाव किए लेते हैं। ऐसे में कई व्यापारी इसका गलत फायदा उठाते हैं और मनमाने दामों पर मूर्तियां और पूजन सामग्री बेचते हैं। शहर में करीब एक दर्जन से ज्यादा स्टॉल पर मिट्टी के गणेशजी की मूर्ति उपलब्ध थी, लेकिन सभी जगह पर दाम बहुत ज्यादा थे। कई स्टॉल पर मूर्ति के दाम 500 रुपए से शुरू हो रहे थे। वहीं पीओपी की मूर्तियां 50 रुपए से शुरू हो रही थी।
प्रशासन को पहल करना चाहिए थी
सराफा बाजार में भगवान गणेश की मूर्ति लेने आए करेड़ी निवासी बसंत कराड़ा ने बताया कि हम हर बार पीओपी की मूर्ति ही विराजित करते हैं, लेकिन इस बार सोचा कि मिट्टी के गणेशजी विराजित करें, लेकिन यहां मिट्टी के गणेशजी की डेढ़ फीट की प्रतिमा ही 1000 रुपए में दे रहे हैं। वहीं पास में 500 रुपए में पीओपी की करीब 3 फीट ऊंची मूर्ति मिल रही थी। ऐसे में हमने तो पीओपी की मूर्ति ही ली। कराड़ा ने बताया कि प्रशासन लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति तो जागरूक तो करता है, लेकिन लोगों को उचित और सही दाम में मूर्ति मिल सके, इसके लिए प्रयास की जरूरत है। उज्जैन और इंदौर प्रशासन इस ओर पहल करता है, स्वयंसेवी संंसथाओं की ओर से मिट्टी के गणेशजी की बड़ी मूर्तियां लागत मूल्य पर उपलब्ध करवाई जाती हैं, यहां ऐसा कुछ नहीं होता। ऐसे में लोगों का झुकाव पीओपी की मूर्तियों की तरफ ही रहता है।