Raksha Bandhan 2022: राखी पर भद्रा का साया, पूरे दिन सिर्फ यह मुहूर्त

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती है। इस बार रक्षाबंधन 11 अगस्त को आ रहा है। इस दिन पर्व पर भद्रा का साया भी है, ऐसे में राखी बांधने के शुभ मुहूर्त को लेकर उलझन बनी हुई है। कोई कह रहा है कि राखी 12 अगस्त को मनाएं, लेकिन इस दिन सुबह के बाद पूर्णिमा खत्म हो जाएगी। ऐसे में पंडित नारायण प्रसाद व्यास पिपलिया वाले ने राखी बांधने के शुभ मुहूर्त के बारे में बताया है।

Raksha Bandhan 2022: राखी पर भद्रा का साया, पूरे दिन सिर्फ यह मुहूर्त

दो दिन है पूर्णिमा

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)

साल 2022 में रक्षाबंधन 11 अगस्त गुरुवार को है। इस बार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 2 दिन पड़ रही है। श्रावणी पूर्णिमा 11 अगस्त सुबह 10.38 बजे से शुरू होकर 12 अगस्त सुबह 07.05 बजे समाप्त हो जाएगी।  11 अगस्त को पूरे दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। लेकिन उदिया तिथि के अनुसार 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि प्राप्त हो रही है। ऐसे में लोग उलझन में है कि रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाएं या फिर 12 अगस्त को। 

रक्षाबंधन का त्योहार सनातन धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया पड़ रहा है। भद्रा काल में राखी का त्योहार मनाना शास्त्रों के विरुद्ध और अशुभ बताया गया है। पुराणों में वर्णन मिलता है कि लंकापति रावण की बहन शुर्पणखा ने रावण को भद्राकाल में ही राखी बांधी थी। इसके बाद रावण का विनाश हो गया था। ऐसे में यह समय राखी बांधने के लिए बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है। कहा जाता है कि भद्रा शनिदेव की बहन है, ऐसी मान्यता है कि माता छाया के गर्भ से भद्रा का जन्म हुआ तो सृष्टि में तबाही होने लगी। भद्रा सृष्टि का विनाश करने लगी। तब ब्रह्मा जी के क्रोध के कारण भद्रा को यह श्राप लगा कि भद्रा काल में जो भी शुभ या मांगलिक कार्य किया जाएगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। इसलिए भद्राकाल में राखी मनाने से बचना चाहिए। 

इस तिथि को मनाएं राखी

शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि राखी का त्योहार श्रावणी पूर्णिमा तिथि को ही मनाया जाना चाहिए। इसमें अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को ही लिया जाता है। मतलब जिस दिन में अधिक समय तक पूर्णिमा की तिथि है, उसी दिन राखी मनाना चाहिए।  ऐसे में यदि दो दिन पूर्णिमा तिथि पड़ जाए तो राखी पहले दिन की पूर्णिमा तिथि पर ही मनाई जानी चाहिए, लेकिन भद्रा काल में भूल से भी रक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए। भद्रा काल में दो कार्य अशुभ माने जाते हैं, पहला भाई को राखी बांधना और दूसरा होलिका दहन करना।

इस समय तक रहेगा भद्राकाल

पंडित नारायण प्रसाद व्यास के अनुसार इस बार भद्रा काल 11 अगस्त को पूर्णिमा के साथ ही सुबह 10.38 बजे से शुरू हो जाएगा और रात्रि 08.52 बजे समाप्त होगा। ऐसे में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि राखी का त्योहार कब मनाएं। कुछ लोग बोल रहे हैं कि 11 और 12  अगस्त दोनों दिन राखी मना सकते हैं लेकिन पूर्णिमा तिथि 12 अगस्त को सुबह 07.05 बजे समाप्त हो जाएगी। इससे पहले ही तिथि के अनुसार रक्षाबंधन मनाया जा सकता है।

पूर्णिमा तिथि इस समय तक

पंडित व्यास के अनुसार 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 10.38 बजे से 12 अगस्त की सुबह 07.05 बजे तक होगी। 11 अगस्त को ही सुबह 10.38 बजे से भद्रा काल शुरू होगा, जो रात 08.52 बजे तक रहेगा। ऐसे में रात 08.52 बजे के बाद से 12 अगस्त सुबह 07.05 बजे तक राखी बांधना शुभ होगा। इसके बाद पूर्णिमा की तिथि समाप्त हो जाएगी। 

भद्रा काल में भी यह मुहूर्त

कई पंडित राखी के दिन अमृत काल, ब्रह्मकाल और अभिजीत मुहूर्त बता रहे हैं कि लेकिन इसमें भद्रा का साया कहीं भी समाप्त नहीं हो रहा। ऐसे में रात 08.52 से पहले राखी का त्योहार मनाना शुभ नहीं होगा।  हालांकि भद्रा काल के दौरान एक समय आता है, जब राखी बांध सकते हैं। यह भद्रा पूछ का समय होता है। 11 अगस्त को भद्रा पूछ का समय शाम 05.17 से 06.18 बजे तक है। इसके बाद भद्रा मुख का समय शाम 06.18 से रात 8 बजे तक रहेगा। बहुत जरूरी हो तो भद्रा पूछ के समय में राखी बांध सकते हैं, लेकिन मुख का समय अशुभ रहता है। इस दौरान भूल से भी रक्षाबंधन ना मनाएं।