शाजापुर: चार साल के लिए सलाखों के पीछे पहुंचा रिश्वतखोर पुलिसवाला
शाजापुर जिले के एक सहायक उपनिरीक्षक को विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने रिश्वतखोरी का आरोप साबित होने पर चार साल की सजा सुनाई है। एएसआई ने चार साल पहले एक व्यक्ति से उसके मकान पर अवैध रूप से मुरम डलवाए जाने पर केस दर्ज करने की धमकी देकर 2 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। लोकायुक्त ने उसे रंगेहाथ दबोचा था।
लोकायुक्त ने किया था ट्रेप
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
रिश्वतखोर पुलिसकर्मी का नाम रामचरण नावरिया, तत्कालीन सहायक उपनिरीक्षक पुलिस थाना मोहन बडोदिया जिला शाजापुर है। रामचरण को विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जिला शाजापुर (नीतूकांता वर्मा) ने दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 में तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए के जुर्माने तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)बी सहपठित धारा 13(2) में चार वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है।
अभियोजन मीडिया प्रभारी सचिन रायकवार ने बताया कि आरोपी एएसआई रामचरण नावरिया ने 18 जुलाई 2018 को आवेदक उदय सिंह से मकान में अवैध रूप से मुरम डलवाए जाने पर केस दर्ज करने की धमकी देकर 10 हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। इसके बाद 27 जुलाई 2018 को मोहन बड़ोदिया थाने के कक्ष में आरोपी रामचरण ने आवेदक उदय सिंह से 8 हजार रुपए रिश्वत मांगी। यहां दो हजार में रुपए में बात तय हुई।
लोकायुक्त में की शिकायत
इसके बाद उदय सिंह ने इसकी शिकायत लोकायुक्त उज्जैन को कर दी। फिर लोकायुक्त ने एक अगस्त 2018 को एएसआई को रंगेहाथ पकडऩे की योजना बनाई। फरियादी उदय सिंह को केमिकल लगे दो हजार रुपए के नोट देकर आरोपी एएसआई रामचरण के पास भेजा गया। मोहन बड़ोदिया में सारंगपुर रोड पर एक मकान के पास आरोपी रामचरण ने उदय सिंह से 2 हजार रुपए ले लिए। इसके बाद इशारा पाते ही लोकायुक्त दल ने एएसआई रामचरण को रंगेहाथ पकड़ लिया। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने विशेष न्यायालय शाजापुर में चालान प्रस्तुत किया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी सचिन रायकवार, विशेष लोक अभियोजक जिला शाजापुर द्वारा की गई। न्यायालय के समक्ष रायकवार ने लिखित में अंतिम तर्क भी प्रस्तुत किए। अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी को कोर्ट ने दंडित किया।
आवदेक पर भी होगी कार्रवाई
आवेदक उदय सिंह की ओर से लोकायुक्त उज्जैन में उपस्थित होकर आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया एवं सभी कार्रवाई में शामिल भी हुआ। फिर भी प्रकरण में न्यायालयीन साक्ष्य के दौरान विपरीत कथन देकर आवेदक उदय सिंह ने न्यायालय के समक्ष साशय मिथ्या साक्ष्य दी व गढ़ी गई होने पर, अभियोजन के निवेदन पर न्यायालय द्वारा आवेदक उदय सिंह के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने का निर्देश भी दिया गया।