शाजापुर: चीलर नदी के नए घाट पर पहली बार आस्था का समागम

शाजापुर शहर के बीच से निकली चीलर नदी के नवनिर्मित घाट पर मंगलवार को पहली बार आस्था का समागम देखने को मिला। मौका था सावन की शिवरात्रि पर पार्थिव शिवलिंग विसर्जन का। महिलाओं ने पूजन के बाद अपने हाथों से निर्मित पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन चीलर नदी में किया। 

शाजापुर: चीलर नदी के नए घाट पर पहली बार आस्था का समागम
इस तरह पार्थिव शिवलिंग का पूजन कर चीलर नदी में किया विसर्जित

पंडित मिश्रा के आह्वान पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण  

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)

श्रावण सोमवार के बाद मंगलवार को भी शहरवासी शिवभक्ति में रमे रहे और देर रात तक घर-घर में महादेव की पूजा-अर्चना की गई।  दरअसल कुछ दिन पहले शिव महापुराण कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने 26 जुलाई को श्रावण की शिवरात्रि पर्व को लेकर कथा के माध्यम से आह्वान किया था कि लोग अपने घरों पर मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करें और किस तरह पूजन करना है इसकी विधि और उपयोग में आने वाली सामग्री के बारे में भी बताया था। शाम 7 बजे जैसे ही शुभ मुहूर्त प्रारंभ हुआ, घर-घर में पूजा शुरू हो गई। किसी ने ऑनलाइन पूजा की तो किसी ने टीवी के सामने बैठकर पं. मिश्रा द्वारा बताई विधि अनुसार पूजन कर धर्म का लाभ लिया।

चीलर नदी में किया विसर्जन

चीलर नदी के नए घाट पर लगी महिलाओं की भीड़

पूजन के बाद महिलाओं ने चीलर नदी में पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन किया। माधव पार्क से सटकर नदी किनारे धौलपुरी पत्थरों से नया घाट बनाया गया है। यहां पहली बार लोगों ने पूजन विसर्जन किया। हालांकि घाट को बने एक साल से ज्यादा हो गया है, लेकिन नालों के मिलने के कारण डांसी रोड और पार्क के बीच नदी में कभी साफ पानी नहीं रहता। लेकिन अभी बारिश के चलते नदी में भरपूर पानी है और यह घाट भी काफी सुंदर है, ऐसे में महिलाओं ने यहां आकर इत्मीनान से पूजन और विसर्जन किया। साथ ही महिलाओं ने नदी में दीपदान भी किया।

लोगों ने घर पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर किया पूजन।

बाजार में पूजन सामग्रियों का टोटा

गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी पं. मिश्रा के आह्वान पर शिवरात्रि पर महापूजन हुआ और इतने लोग पूजन में शामिल हुए कि बाजार से पूजन सामग्री ही खत्म हो गई, जिसके चलते लोगों को दोगुने दामों पर भी पूजा का सामान खरीदना पड़ा। एक दिन पहले गुलाब के फूल की कीमत 1 रुपए थी, वह मंगलवार को 10 रुपए तक पहुंच गई। इसी प्रकार अन्य पूजन सामग्री का टोटा होने से लोगों ने इन वस्तुओं को भी दोगुना दाम देकर खरीदा और महादेव का विशेष पूजन किया।