पार्षद पर NSA: नपाध्यक्ष के लिए वोट की पात्रता और पार्षदी का क्या होगा ?  यह है कानून....

शाजापुर शहर के वार्ड 12 के नवनिर्वाचित पार्षद समी उल्ला हमीद चाचा पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है। एसपी के प्रतिवेदन पर कलेक्टर द्वारा की गई कार्रवाई के बाद गुरुवार दोपहर निर्दलीय पार्षद समी उल्ला को उज्जैन के भैरवगढ़ स्थित केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया। 

पार्षद पर NSA: नपाध्यक्ष के लिए वोट की पात्रता और पार्षदी का क्या होगा ?  यह है कानून....
आरोपी पार्षद को मेडिकल के लिए जिला अस्पताल लाया गया।

जुलूस में आपत्तिजनक नारेबाजी का है आरोप

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)

वार्ड क्रमांक 12 के निर्दलीय पार्षद समी उल्ला हमीद चाचा पर आरोप है कि 17 जुलाई को उनके विजयी जुलूस में आपत्तिजनक नारेबाजी हुई। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा। इसके अगले दिन 24 जुलाई को कोतवाली थाना पुलिस ने पार्षद पर ACT 153 B और ACT 188 के तहत प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया, यहां से उसे जेल भेज दिया गया था। मामले में आरोपी पार्षद की जमानत भी नहीं हो पाई थी। 

इधर, 28 जुलाई गुरुवार को कलेक्टर दिनेश जैन ने एसपी जगदीश डावर के प्रतिवेदन पर जेल में बंद पार्षद समी उल्ला हमीद चाचा के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई कर दी। पार्षद को कितने समय के लिए रासुका के तहत निरुद्ध किया गया है, यह अभी तय नहीं है। ऐसे में गुरुवार दोपहर को आरोपी पार्षद को मेडिकल के लिए जिला अस्पताल लाया गया। यहां से उसे उज्जैन के भैरवगढ़ स्थित सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। कोतवाली पुलिस ने बताया कि आरोपी पार्षद पर पहले भी मामले दर्ज हैं, रासुका के लिए उनको भी आधार बनाया गया है।

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क्या है प्रावधान ?

कानून के जानकारों के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कारवाई होने पर आरोपी को कम से कम तीन माह तक बगैर जमानत हिरासत में रखा जा सकता है। जरूरत पडऩे पर इसकी अवधि 3-3 महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है। रासुका के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इसके अलावा कोई वकील भी आरोपी की  तरफ से सार्वजनिक रूप से अपील नहीं कर सकता है।  यहां आरोपी से पूछा जाता है कि आप पैरवी के लिए वकील चाहते हैं क्या, अगर आरोपी हां लिखकर देता है तो हाइकोर्ट में उसकी तरफ से अपील होती है। इसके बाद हाइकोर्ट के रजिष्ट्रार इसको प्रक्रिया में लाते हैं।  फिर हाइकोर्ट जज आरोपी के पक्ष को देखते हैं और तय करते हैं कि उसका अपराध इस लायक है या नहीं कि इस पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाए। इसके बाद ही पैरवी के लिए आरोपी को वकील मिलता है।

मतदान कर पाएगा या नहीं ?

वार्ड 12 के निर्दलीय पार्षद समी उल्ला हमीद चाचा पर रासुका के तहत कार्रवाई के बाद शहर में चर्चा चल पड़ी है कि अगले दिनों में होने वाले नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में उक्त पार्षद वोट कर पाएगा या नहीं। एडवोकेट हेमंत वर्मा के मुताबिक इसके लिए उक्त पार्षद को हाईकोर्ट से अनुमति की आवश्यकता होगी। आरोपी की ओर से हाइकोर्ट में अपील करना होगी। उसे अपील में सारे पक्ष रखना होंगे। यहां न्यायाधीश के निर्णय के बाद ही पार्षद को अध्यक्ष चुनाव में मतदान की पात्रता होगी। अगर पार्षद को अनुमति मिलती है तो वो डाक मतपत्र या पुलिस अभिरक्षा में मतदान के लिए आ सकता है। वहीं अगर हाइकोर्ट आरोपी पार्षद की अपील को खारिज कर देता है तो वो नपाध्यक्ष चुनाव में मतदान नहीं कर पाएगा।

पार्षद रहेगा या नहीं ?

जानकारी के मुताबिक किसी भी जनप्रतिनिधि को निर्वाचित होने की तीन माह की समयावधि तक पद की शपथ लेना आवश्यक है। अगर इस अवधि के दौरान शपथ ग्रहण नहीं होता है तो उसका निर्वाचन शून्य घोषित हो जाता है। अब चूंकि पार्षद समीउल्ला पर रासुका के तहत कार्रवाई हो गई है, ऐसे में उसे शपथ के लिए भी हाइकोर्ट में अपील करना होगी। अगर उसे यहां से अनुमति मिलती है तो ही वह शपथ ले सकेगा।

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