दशहरा: 61 फीट ऊंचा होगा दशानन का पुतला, विजय यात्रा में कड़ाबीन के धमाके देंगे प्रभु श्रीराम के आने की सूचना
बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयादशमी पांच अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। एबी रोड स्थित स्टेडियम में कलाकार 61 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाने में जुटे हुए हैं। साथ ही इस बार प्रभु श्रीराम की विजय यात्रा में कड़ाबीन के धमाके उल्लास को और बढ़ाएंगे।
स्टेडियम में होगी आतिशबाजी
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को देशभर में विजयादशमी पर्व मनाया जाता है। हमारे शाजापुर शहर में यह पर्व उल्लास से मनाया जाता है। स्टेडियम में रावण के पुतले का दहन किया जाता है। इस नजारे को देखने के लिए पूरा शहर उमड़ता है। साथ ही जोरदार आतिशबाजी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है। समय के साथ-साथ शहर का यह प्रमुख उत्सव और भी आकर्षक होता जा रहा है। इस बार शहर में 61 फीट के रावण के पुतले का दहन किया जाएगा।
दशहरा उत्सव समिति के संयोजक गोविंद नायक ने बताया कि दशहरे पर्व की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 61 फीट रहेगी तथा पुतले पर आकर्षक विद्युत सज्जा की जाएगी। करीब एक हफ्ते से स्टेडियम में कलाकार पुतले का निर्माण कर रहे हैं, जो अब पूर्ण होने वाला है। संभवत: दुर्गाष्टमी के दिन शाम तक पुतले को खड़ा कर दिया जाएगा। वहीं आतिशबाजी में भी इस बार कुछ परिवर्तन देखने को मिलेगा, जिसमें शहरवासियों को आनंद आएगा और उनका भरपूर मनोरंजन होगा।
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विजय यात्रा भी होगी खास
शहर की परंपरा के अनुसार स्टेडियम में रावण दहन के पूर्व वजीरपुरा स्थित श्रीकृष्ण व्यायामशाला से प्रभु श्रीराम की विजय यात्रा निकाली जाती है। इसमें श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमानजी का रूप धरे कलाकार रथ पर विराजित होते हैं। साथ ही में प्रभु श्रीराम की सेना चलती है। इस बार विजय यात्रा में कड़ाबीन के धमाके सुनाई देंगे। उज्जैन में राजा महाराज की सवारी में कड़ाबीन के धमाके किए जाते हैं, इससे उज्जैन के लोगों को राजाधिराज महाकाल के आने का संकेत मिलता है। ठीक इसी तरह प्रभु श्रीराम की विजय यात्रा में आगे-आगे कड़ाबीन के धमाके होंगे।
क्या होता है कड़ाबीन
कड़ाबीन को छोटी तोप कहा जा सकता है। इसे कंधे पर रखकर चलाया जाता है। इसमें बारूद और सुतली बम का उपयोग किया जाता है। उज्जैन में राजा महाकाल की सवारी के दौरान पहले भरमार बंदूक का इस्तेमाल किया जाता था। इसके बाद अब कुछ सालों से कड़ाबीन का उपयोग किया जाता है। इस बार शाजापुर के लोगों को इसका आनंद मिलेगा।