गर्मी शुरू हुई और शाजापुर में पानी के लिए हो गई सरकारी घोषणा
शाजापुर जिला जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित, नहीं कर सकेंगे नलकूप, घरेलू एवं निस्तार को छोड़कर अन्य प्रयोजन के लिए जल उपयोग पर भी प्रतिबंध
खबरीराम 24 @ शाजापुर (मप्र). गर्मी की शुरुआत होते ही शाजापुर में जलसंकट के आसार नजर आने लगे हैं। इसको देखते हुए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी दिनेश जैन ने ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की सुचारू व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से शाजापुर जिले को पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। कलेक्टर ने घरेलू प्रयोजन एवं निस्तार को छोड़कर अन्य प्रयोजन जिसमें सिंचाई या औद्योगिक, व्यवसायिक अथवा अन्य के लिए जल उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया है। कोई भी व्यक्ति जिले के समस्त जलस्रोतों जिसमें बांध, नदी, नहर, जलधारा, झरना, झील, जलाशय, नालाबंधान, नलकूप या कुओं से अन्य किसी प्रयोजन के लिए पूर्व से अनुमति प्राप्त को छोड़कर जल उपयोग नहीं कर सकेंगे। बता दें, शाजापुर में जलापूर्ति चीलर डैम से होती है। दो बार नहर खोलने से डैम का पानी तेजी से कम हुआ है।
जिला दंडाधिकारी ने उक्त प्रतिबंध भू-जलस्तर लगातार नीचे जाने के कारण जिले में वर्तमान जलस्रोतों में उपलब्ध जल को पेयजल के लिए आरक्षित करने के लिए लगाया है। कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शाजापुर द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार जिले में औसत वर्षा 990.10 मिमी के स्थान पर 1155.60 मिमी वर्षा होने के उपरांत भी लगातार जिले का भूजल स्तर नीचे जा रहा है। जिससे जिले में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना है। इसे देखते हुए उक्त प्रतिबंध लगाया गया है। प्रतिबंध 31 जुलाई 2022 तक प्रभावशील रहेगा। इस अवधि में अशासकीय एवं निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध रहेगा।
अवैध रूप से की बोरिंग तो दर्ज होगी एफआइआर
प्रतिबंध अवधि में सार्वजनिक सड़कों से गुजरने वाली मशीनों को छोड़कर जिले की सीमा के अंदर अनुविभागीय दंडाधिकारी की अनुमति के बिना नलकूप खनन के लिए बोरिंग मशीन आदि लेकर प्रवेश नहीं कर सकेंगे। न ही बिना अनुमति नलकूप खनन करेंगे। इस संबंध में कलेक्टर ने सभी राजस्व अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे अवैध रूप से प्रतिबंधित अवधि में प्रवेश करने वाली बोरिंग मशीनों एवं नलकूप खनन करने वाली मशीनों को जब्त करें और उनके विरुद्ध समीपस्थ थाने में एफआइआर दर्ज कराए। आदेश का उल्लंघन करने पर मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 9 के अनुसार 2 वर्ष तक के कारावास या 2 हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित करने का प्रावधान है।