डार्क जोन में शाजापुर: गिरते भूजल स्तर ने बढ़ाई चिंता, मंत्री ने कहा-जागरुकता फैलाएं, कलेक्टर बोले-लखुंदर डैम का पानी बीएनपी को देना बंद करें
जिन ग्रामों में पेयजल की ज्यादा समस्या आती है वहां के लिए समूह नलजल योजना को प्राथमिकता दें। साथ ही गिरते भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए जागरुकता फैलाएं। उक्त निर्देश प्रदेश के स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) एवं सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार ने बुधवार को जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअल रूप से शामिल होते हुए दिए।
जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक संपन्न
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
जल जीवन मिशन अंतर्गत जिले में कम भू जल वाले कुल 354 ग्रामों के लिए पेयजल डीपीआर तैयार करने पर चर्चा के लिए बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष हेमराज सिंह सिसौदिया, कलेक्टर दिनेश जैन, जिला पंचायत सीइओ मिशा सिंह, अधीक्षण यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उज्जैन संभाग राजीव खुराना, कार्यपालन यंत्री पीएचई विजय सिंह चौहान, अनुविभागीय अधिकारी शुजालपुर सत्येन्द्र प्रसाद सिंह, केन्द्रीय भू जल सर्वेक्षण विभाग की वैज्ञानिक रोज अनिता कुजुर एवं अन्खा अजल, जिला शिक्षा अधिकारी विवेक दुबे, डीपीसी राजेन्द्र शिप्रे सहित सभी जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं नगरीय निकायों के मुख्य नगरपालिका अधिकारीगण उपस्थित थे।
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राज्यमंत्री परमार ने बैठक में भोपाल से वर्चुअल रूप से शामिल होते हुए कहा कि जिन ग्रामों के पेयजल स्रोत गर्मी में सूख जाते हैं। वहां के लिए समूह नलजल योजना की आवश्यकता है। पेयजल के स्रोत के लिए पार्वती एवं कालीसिंध नदी पर बनाए गए बांधों का उपयोग किया जा सकता है। राज्यमंत्री परमार ने कहा कि शाजापुर जिला डार्क जोन में होने के कारण यहां पेयजल स्रोत के लिए नलकूप खनन करना समस्या का समाधान नहीं है। बल्कि पेयजल स्रोत तैयार करने के लिए भू जल स्तर बढ़ाने पर जोर देना होगा। भूजल स्तर बढ़ाने के लिए जनता की सहभागिता जरूरी है, इसके लिए जागरुकता फैलाएं। लगातार भूजल रिचार्ज करते रहने से शाजापुर जिला डार्क जोन से बाहर आ जाएगा।
वर्तमान में वर्षा ऋतु समाप्ति की ओर है, वर्षा के बहते हुए जल को रोकने के लिए ग्राम पंचायतों के माध्यम से नदी-नालों पर बोरी बंधान बनाए जाना चाहिए, ताकि भूजल स्तर बना रहे। साथ ही उन्होंने अगले वर्ष के लिए पहले से ही रिचार्जिंग की प्लानिंग करने के लिए कहा। पीएचई द्वारा ऐसे खनन किए गए नलकूप जो भूजल की कमी के कारण बंद है, उन्हें भी रिचार्ज करने की आवश्यकता है। इससे भी भू जल स्तर में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि भू जल स्तर बढ़ाने के लिए रिचार्जिंग स्ट्रक्चर बनाने का कार्य जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत के माध्यम से कराया जाये।
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कलेक्टर ने कहा कि वर्तमान में पलसावद लखुंदर डैम से बीएनपी देवास को जल प्रदाय किया जा रहा है, जबकि देवास में ही नर्मदा जल पर्याप्त रूप से वितरण हो रहा है। अत: कार्यपालन यंत्री जलसंसाधन शासन से पत्र व्यवहार कर किया गया अनुबंध समाप्त करने का अनुरोध करें। अधीक्षण यंत्री खुराना ने कहा कि ऐसे ग्राम, जिनकी आबादी 100 से कम है, को वर्तमान में छोड़ा जा सकता है। जनपद पंचायतों में क्लस्टर में बैठक लेकर जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर योजना बनाएं।
इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष सिसौदिया ने कहा कि भूजल स्तर बढ़ाने के लिए जिला पंचायत के माध्यम से गतिविधियां संचालित की जाएंगी। कलेक्टर दिनेश जैन ने बताया कि जिले में कुल 591 ग्रामों में से 237 ग्रामों की पेयजल योजना की प्रशासकीय स्वीकृतियां जारी हो गई है। 354 ऐसे ग्राम हैं, जहां पेयजल स्रोत की कमी के कारण योजना स्वीकृत नहीं हुई है। शासन के नवीन निर्देश के अनुसार इन ग्रामों के लिए भी तय मापदंडों में ढील देते हुए योजना बनाई जाना है। कलेक्टर ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि उपलब्ध जल स्रोतों से कितने ग्रामों को पानी दिया जा सकता है पता लगाएं और इन ग्रामों के जल स्रोतों में पेजयल की उपलब्धता के आधार पर योजना बनाएं। साथ ही इन ग्रामों के लिए अतिरिक्त रूप से जल कहां से उपलब्ध कराया जाए इसके बारे में भी प्लानिंग करें।
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सीइओ जिला पंचायत मिशा सिंह ने कहा कि जलसंसाधन विभाग के 79 पुराने तालाब हैं, जिनमें वर्तमान में गाद भरी हुई है, जिसके कारण पर्याप्त मात्रा में जल संग्रहण नहीं हो रहा है। इन तालाबों से ग्रामीणों को विभाग की निगरानी में मिट्टी ले जाने की अनुमति दी जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि नदी-नालों पर जर्जर हो रहे स्टॉप डैम एवं चेकडैम की मरम्मत कर उनमें गेट लगाकर पानी रोकने के इंतजाम करें। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए समुचित उपाय भी करने पर जोर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में जलजीवन मिशन के तहत बनाई गई पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन एवं संधारण के लिए ग्राम स्तरीय जल एवं स्वच्छता समिति को प्रत्येक परिवार से न्यूनतम जल शुल्क वसूलने के लिए कार्य करना होगा। इस अवसर पर केन्द्रीय भूजल सर्वेक्षण से आए वैज्ञानिकों द्वारा पीपीटी के माध्यम से जिले की भूजल स्तर के बारे में बताया गया।