हनुमानजी! कोरोना के कारण छूटी मेरे पापा की नौकरी वापस दिलवा दो

बादशाही पुल के पास प्राकृतिक वातावरण में स्थित यह मंदिर शाजापुर के लोगों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है।

हनुमानजी! कोरोना के कारण छूटी मेरे पापा की नौकरी वापस दिलवा दो

शाजापुर के प्रसिद्ध मुरादपुरा हनुमान मंदिर में भक्त लिखकर करते हैं विनती
आपका खबरीराम पहुंचा महाबली के दरबार

शाजापुर. शहर के प्रसिद्ध मुरादपुरा हनुमान मंदिर के प्रति लोगों की अगाध आस्था है। बुद्धि और बल के देवता के दरबार में हर मंगलवार और शनिवार को सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है। भक्तों का मानना है कि यहां विराजित भगवान हर भक्त की पीड़ा समझते हैं और उसे दूर करते हैं। इसके चलते लोग मंदिर की दीवारों पर अपनी फरियाद लिखकर जाते हैं, ताकि हनुमानजी महाराज उनकी मनोकामना पूरी कर दे और उनके कष्टों को दूर कर दें। कई बार पुजारी उन्हें ऐसा करने से मना भी करते हैं, लेकिन भक्तों की आस्था के आगे वे भी नतमस्तक हो जाते हैं।

बादशाही पुल के पास प्राकृतिक वातावरण में स्थित यह मंदिर शाजापुर के लोगों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। आपका खबरीराम भी हर शनिवार को यहां हाजिरी लगाने जाता है। इसके अलावा जब भी इस रास्ते से गुजरता है तो महाबली हनुमानजी से राम-राम करना नहीं भूलता। आपके लिए khabriram24.com शुरू करने का विचार भी यहीं बैठकर आया है और भगवान मुरादपुरा हनुमानजी के आशीर्वाद से पोर्टल शुरू भी हो गया। जब पोर्टल शुरू हो ही गया तो पहली खबर पर भगवान मुरादपुरा हनुमानजी का अधिकार तो बनता है, इसलिए khabriram24.com की पहली खबर हनुमानजी को ही समर्पित की गई है।

हनुमानजी को यह लिखकर दे रहे भक्त
खबरीराम ने मंदिर में दर्शन करने के बाद परिक्रमा शुरू की और पीछे की तरफ दीवार पर देखा तो वह भक्तों की फरियाद से भरी पड़ी थी। इसमें कुछ खास फरियाद यह रही....
'हे भगवान मेरे पापा की नौकरी वापस लगवा दो, कोरोना के कारण उनकी जॉब छूट गई है, अब दोबारा कोरोना को फैलने से रोक दो। 'हनुमान जी मुझे हर काम में सफलता दिलवा दीजिए 'मेरा आइटीआई में सिलेक्शन करवा दो भगवान। 'जिस काम से सभी खुश हो, वहीं काम करवाना भगवान। 

यह है मंदिर का इतिहास

मंदिर में नियमित आने वाले बुजुर्ग और यहां के पुजारी बताते हैं कि मंदिर करीब 127 साल पुराना है। यहां विराजित भगवान की चमत्कारी प्रतिमा बालरूप में है। इसके चलते प्रतिमा भक्तों को सहसा ही अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है। बताया जाता है कि मंदिर बनने पहले यहां खेत था। एक बार यहां रहने वाले बेजु बा को हनुमानजी सपने में आए और इस स्थान के बारे में बताया। फिर यहां खुदाई हुई तो हनुमानजी प्रकट हुए। इसके बाद यहां मंदिर बनाया गया। शुरुआती दौर में मंदिर बहुत छोटा हुआ करता है। इसके बाद जनसहयोग से धीरे-धीरे मंदिर को भव्य रूप दिया गया। 

शहर के 108 हनुमानजी के दर्शन एक ही जगह पर होते हैं


मंदिर में एक विशान चित्र लगाया है। देश के चार प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों के साथ ही शहर के 108 हनुमानजी के फोटो लगाए गए हैं। ऐसे में भक्तों को यहीं पर उनके दर्शन का लाभ मिल जाता है।

सैकड़ों लोगों की प्यास बुझाती है कुंडी
मंदिर के पीछे एक कुंडी है। कहते हैं कि इसमें कभी भी पानी कम नहीं होता। यह हमेश भरी ही रहती है। लोग इसे भी चमत्कार ही मानते हैं। पुजारी के अनुसार कई बार शहर में सूखा भी पड़ा, लेकिन यहां का पानी कभी नहीं सूखा। इस दौरान लोग यहां से पानी लेकर जाते थे।

अन्य भगवान के दर्शन भी होते हैं
मंदिर परिसर में ही शनिदेव, दुर्गा माता, भैरव महाराज, गणेश जी और भगवान पशुपतिनाथजी के मंदिर भी हैं। यहां आने वाले भक्त यहां भी दर्शन करते हैं। साथ ही मंदिर के पीछे पार्क भी बनाया गया है, जहां झूले और फिसलपट्टी पर बच्चे उछलकूद करते हैं।