Russia Ukrain War:शाजापुर की खुशी, राजवीर और उत्कर्ष वाट्सऐप कॉल कर बता रहे आपबीती, बच्चों की चिंता में परिजनों का हो रहा बुरा हाल
बमबारी के कारण उड़ते जहरीले धुएं के गुबार और धूल के कारण सांस लेने में हो रही तकलीफ, गले में होने लगी खराश
खबरीराम 24 @ शाजापुर. 24 घंटे बाद अब बमबारी कुछ कम हुई तो बंकर से निकलकर बाहर आए। यहां पर देखा तो कीव का नजारा ही बदल गया है। जगह-जगह बिल्डिंग गिर चुकी है और मलबा पड़ा हुआ है। इस मलबे के कारण लगातार धूल उड़ रही है। वहीं बमबारी के कारण पूरे क्षेत्र में धुआं छाया हुआ है। हवा के साथ बारुद उड़ रही है। इससे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है।
ये वो बातचीत के अंश है, जो शहर के नई सड़क निवासी शेरू दुबे की बेटी खुशी दुबे ने वाट्सएप कॉल पर अपने माता-पिता को बताई। शेरू दुबे ने कहा कि शुक्रवार दोपहर में बात होने के बाद रात सवा 12 बजे खुशी से बात हो पाई थी उस समय वो बंकर में ही थी। इसके बाद शनिवार दोपहर करीब साढ़े 3 बजे खुशी ने अपनी मां को वॉट्सएप पर कॉल करके उक्त जानकारी दी। शेरु दुबे का कहना था कि बातचीत करते समय उनकी बेटी को लगातार खांसी चल रही थी। वहीं आसपास अन्य बच्चों के भी खांसने की आवाज आ रही थी। इस पर खुशी ने बताया था कि बारुद वाले धुएं और बिल्डिंग के मलबे से उड़ रही धूल के कारण सभी को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। ऐसे में वो सभी फिर से बंकर में जा रहे है।
यूक्रेन के हर समाचार पर नजर
शेरु दुबे ने बताया कि उनकी बेटी यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थित बोगोमोल्टीस मेडिकल यूनिवर्सिटी के कैम्पस में होस्टल की बिल्डिंग के तलघर में रुकी हुई है। उसका नंबर इंडियन एंबेसी ने वाट्सएप ग्रुप में जोड़ लिया है। इस वाट्सएप ग्रुप पर एंबेसी की ओर से नोटिफिकेशन दिया गया है कि वो जहां है वहीं पर रहे। रोमानिया, हंगरी या फिर पोलेंड की बॉर्डर की ओर जाने का प्रयास नहीं करें। इधर बेटी के सकुशल घर लौटने की पूरा परिवार राह तक रहा है। टीवी पर दिखाई जा रही यूके्रन की हर गतिविधि पर पूरा परिवार नजर लगाए हुए है।
होस्टल में ही रहने की सलाह
यूके्रन में ही शहर के प्रतापसिंह गोहिल का पुत्र राजवीरसिंह गोहिल एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए गया हुआ है। यूक्रेन के खारकीव स्थित अपने होस्टल में फंसे हुए राजवीर ने अपने पिता को वीडियो कॉल पर बताया कि दो दिन पहले इस क्षेत्र में उसे बमबारी की आवाज सुनाई दी थी, अब यहां पर शांति तो है, लेकिन उन्हें होस्टल से बाहर नहीं जाने के लिए कहा गया है। इधर राजवीर के परिजन लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार तक अपनी गुहार लगा रहे हैं। ताकि जल्द से जल्द उनका बेटा सुरक्षित अपने घर लौट आए।
रोमानिया से लाएंगे हिंदूस्तान
यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे शाजापुर निवासी दिलीप नागर के पुत्र उत्कर्ष नागर ने अपने पिता को बताया कि वो खारकीव में राजवीर के साथ होस्टल में ही है। अभी तक उनके पास कोई सूचना नहीं आई है कि उन्हें क्या करना है। पूर्व में मिली सूचना के हिसाब से उसने भी एक हैंडबेग में अपने जरूरी सामान के साथ ही जरूरी दस्तावेज रखे हुए है। उत्कर्ष के पिता दिलीप नागर ने बताया कि स्थानीय सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी ने उनके बेटे सहित यूक्रेन में फंसे जिले के समस्त विद्यार्थियों की जानकारी के संबंध में केंद्रीय स्तर पर ई-मेल करके सूचित कर दिया है। जहां से यह बताया गया है कि अभी जो विद्यार्थी जहां है वहीं पर रहें। सभी को निकालने के लिए तैयारी की जा रही है। खारकीव में फंसे उत्कर्ष और राजवीर सहित अन्य सभी विद्यार्थियों को सड़क मार्ग से 700 किमी दूर रोमानिया तक लाया जाएगा। जहां से उन्हें फ्लाइट से भारत लाया जाएगा। इसके लिए तैयारी की जा रही है। सांसद द्वारा दी गई जानकारी के बाद राजवीर और उत्कर्ष के परिजनों को कुछ राहत तो मिली, लेकिन उन्हें अपने बेटों के सकुशल आने का इंतजार है।
बेटा सुरक्षित है लेकिन दिल में डर है
उन्हेल. यूक्रेन में उन्हेल निवासी डॉक्टर ओमप्रकाश बैरागी का 21 वर्षीय बालक शुभांशु बैरागी एमबीबीएस करने के बाद आगे के पढ़ाई के लिए गया है लेकिन वहां के हालात को देखते हुए परिवार के लोग चिंतित है। डॉक्टर ओपी बैरागी ने बताया वह जहां रह रहा है सुरक्षित है लेकिन फिर भी दिल में दहशत बनी हुई है। बेटे को लेकर बहुत चिंतित हैं, परिवार ने सरकार से शुभांशु को लाने के लिए गुहार लगाई है। अक्षत जैन के पिता जीवन जैन को सरकार पर भरोसा है कि वह बेटे को सुरक्षित हिंदुस्तान लेकर आएंगे।
प्रदेश और केंद्र सरकार से मांग रहे मदद
नागदा. यूक्रेन के विन्नीट्सिया शहर में फंसे भारतीयों छात्र-छात्राओं में शामिल नागदा के चंबल सागर मार्ग निवासी एमबीबीएस की छात्रा शिफागौरी खान शनिवार को भी भारतीय दूतावास की एडवाइजरी पर इधर से उधर भटकते रहे। दूतावास की तरफ से जारी एडवाइजरी के अनुसार छात्र-छात्राओं के इस दल को विन्नीट्सिया से 900 किमी दूर हंगरी बॉर्डर पर बस से ले जाने की बात कही गई। लंबे इंतजार के बावजूद वहां बस नहीं पहुंची। इसके बाद अब नई एडवाइजरी जारी हुई कि दल को रोमानिया बॉर्डर तक ले जाया जाएगा। बेटी की वतन वापसी के लिए पिता इरफान मंसूरी व मां यास्मिन ने प्रदेश व केंद्र सरकार से मदद मांगी है। सीएम हेल्पलाइन पर अनुरोध लिखकर भी डाला गया था।
रविवार को क्रॉस कर सकते हैं बॉर्डर
उज्जैन. यूक्रेन में एमबीबीएस के चौथे साल में पढऩे वाली उज्जैन की आशी शर्मा के पिता देवेंद्र शर्मा व माता लता शर्मा ने बताया कि उनकी बेटी यूक्रेन के टर्नोपील मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। शनिवार दोपहर बेटी से उनकी बात हुई थी, जो रोमानिया के रास्ते में थी। पचास सीटर बस से वह अन्य छात्रों के साथ रोमानिया जा रही थी, जहां से भारत लौटने का मार्ग प्रशस्त होगा। आशी के साथ उज्जैन के कुछ अन्य विद्यार्थी थे, वे सभी रविवार को बॉर्डर क्रॉस कर सकते है।