Russia Ukrain War: बमबारी के बीच दौड़ते हुए शाजापुर की खुशी ने लगाया फोन, कहा-कीव की सड़कों पर रूसी सेना के टैंक घूम रहे हैं, दाग रहे हैं मिसाइल, हम बचने के लिए तलघर में छिप रहे हैं

रूस-यूके्रन के बीच युद्ध के कारण दुनियाभर मे हलचल है। यूक्रेन में शाजापुर के भी तीन बच्चे फंसे हुए हैं। वे वहां से निकलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही। इधर, शाजापुर में उनके परिजनों का बुरा हाल हो रहा है। जैसे-जैसे टीवी पर खबरें आ रही हैं, उनकी धड़कनें बढ़ती जा रही है।  

Russia Ukrain War: बमबारी के बीच दौड़ते हुए शाजापुर की खुशी ने लगाया फोन, कहा-कीव की सड़कों पर रूसी सेना के टैंक घूम रहे हैं, दाग रहे हैं मिसाइल, हम बचने के लिए तलघर में छिप रहे हैं
खुशी दुबे

खबरीराम 24 @ शाजापुर. रूस की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद यूक्रेन की राजधानी कीव के हालात बहुत ज्यादा डरावने हो गए हैं। यहां की सड़कों पर रूसी सेना के टैंक पहुंच गए है। पहले दिन की अपेक्षा आज यहां पर बमबारी और भी ज्यादा तेज हो गई है। जान बचाने के लिए हम सभी स्टूडेंट्स को कीव में स्थित बोगोमोल्टीस मेडिकल यूनिवर्सिटी के कैम्पस में होस्टल की बिल्डिंग के तलघर में रुकने के लिए कहा गया है। मैं अब तलघर में ही जा रही हूं। अब 4-5 घंटे फोन नहीं लगे तो परवाह मत करना। जब तलघर से हमें बाहर निकाला जाएगा तब कॉल करूंगी।

ये वो बातचीत है जो शाजापुर के नई सड़क निवासी शेरू दुबे की बेटी खुशी दुबे ने अपने परिजनों को फोन पर बताई। शेरू दुबे ने कहा कि उनकी बेटी ने दौड़ते हुए फोन लगाकर कहा कि यहां बमबारी तेज हो गई है। हमें कहा गया है कि होस्टल की बिल्डिंग के तलघर में ही रुकें। ताकि यदि बमबारी में बिल्डिंग को नुकसान हो तो किसी के साथ अनहोनी नहीं हो। दुबे ने बताया कि उनकी बेटी ने जो यूके्रन के कीव के हालात बताए वो चिंता बढ़ाने वाले हैं। अपनी बेटी के सकुशल देश लौटने के लिए पूरा परिवार दिनभर टीवी के सामने बैठकर स्थिति को देख रहा है। वहीं परिजन अपने-अपने स्तर से उच्च अधिकारियों से अपनी बेटी को वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं।

कंकर मिला डोसा और एक कप चाय, दो बिस्किट मिले 

शेरू दुबे ने बताया कि उनकी बेटी खुशी जब उन्होंने खाने की व्यवस्था के बारे में पूछा तो खुशी ने बताया कि कल रात में उन सभी लोगों को खाने के लिए एक-एक डोसा दिया गया था। इसमें भी कंकर बहुत सारे मिले हुए थे। हालांकि भूख से बेहाल सभी बच्चों ने जैसे-तैसे इसे खाकर ही भूख को शांत किया। इसके बाद आज पूरे दिन उन्हें खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला। शाम 4 बजे उन्हें एक कप चाय और दो-दो बिस्किट खाने के लिए दिए गए। शेरू दुबे ने बताया कि उनकी बेटी सहित सभी स्टूडेंट पोलेंड तक पहुंचने के बाद बाहर निकल सकते हैं। ऐसे में सभी यही प्रयास कर रहे हैं कि बच्चे पोलेंड तक सकुशल पहुंच जाएं।

राजवीर को होस्टल में ही रहने और तैयारी रखने की दी जानकारी

आदर्श कॉलोनी निवासी प्रतापसिंह गोहिल के पुत्र राजवीरसिंह गोहिल भी यूके्रन के खारकीव में फंसे हुए हंै। अपने पिता से चर्चा में राजवीर ने बताया कि खारकीव में कल जहां उन्होंने होस्टल के आसपास 6 धमाके सुने थे वहीं आज कोई धमाका नहीं सुनाई दिया। राजवीर ने अपने पिता को बताया कि भारतीय दूतावास की ओर से उन्हें यह सूचना दी गई है कि वो अपने होस्टल से बाहर नहीं निकले। साथ ही एक हैंडबेग में अपना जरूरी सामान और आवश्यक दस्तावेज तैयार करके रखें। जैसे ही सूचना दी जाएगी वैसे ही बताए गए स्थान पर तत्काल पहुंचना होगा।

सकुशल वापसी के लिए महाकाल से गुहार

उज्जैन. यूक्रेन में शहर के भी करीब 26 बच्चे फंसे हुए हैं। पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि यूक्रेन और रूस में जंग छिड़ी हुई है। उसमें मप्र सहित अन्य प्रदेशों के नागरिक तथा बच्चों की रक्षा, उनके वापस सकुशल घर लौटने के लिए बाबा महाकाल को जल अर्पण कर रूद्राभिषेक पाठ किया गया। महाकाल मंदिर के पुजारियों ने गर्भगृह में पूजन अर्चन किया। प्राप्त जानकारी अनुसार उज्जैन के करीब 26 छात्र-छात्राएं यूके्रन में फंसे हुए हैं, जिसमें से महाकाल मंदिर के पुजारी जितेंद्र शर्मा की बेटी भी वहीं युद्ध के संकट का सामना कर रही है। पुजारी जितेंद्र शर्मा का कहना है कि हमने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि हमारे सभी के बच्चों को सकुशल घर वापस लाने में सरकार मदद करे। पुलिसकर्मी विनोद परमार ने बताया कि मेरा बेटा भी यूक्रेन में पढ़ाई कर रहा है, लेकिन जब से युद्ध और हमले की जानकारी मिली है, हम सभी परेशान हो रहे हैं। बच्चों से बात हुई तो उन्होंने बताया यहां लगातार बमबारी हो रही है, जिससे हमें डर लग रहा है। उज्जैन के आकाश भार्गव, प्रभव परमार, विनित मुसले, मानसी दुबे, धरती पटेल, मोहिनी सिंग, नयन जोशी, सलौनी शर्मा, आशी शर्मा, ओपील जैन, अनुष्का यादव सहित लगभग 26 बच्चे अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं।

मीडिया के जरिए मदद की गुहार

यूक्रेन में फंसे उज्जैन के युवाओं के अभिभावकों ने शुक्रवार को मीडिया के जरिए सरकार के जल्द मदद की गुहार लगाई। प्रेस वार्ता में अभिभावक संजय यादव, मुकेश त्रिवेदी, उमेश भार्गव, विजय दुबे, जितेंद्र शर्मा, विनोद परमार ने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि बच्चों से बात हुई है, सभी घबराए हुए हैं। शहर के करीब 15 और जिले से 30 बच्चे यूक्रेन में हैं। अधिकांश बच्चे एमबीबीएस की पढ़ाई करने टर्नोपील शहर में रह रहे हैं। स्थानीय लोगों ने राशन जमा कर लिया है और शहर में राशन की दुकानें खाली हो चुकी हैं। बच्चों के पास 4-5 दिन का ही राशन बचा है। बच्चों के पास पानी भी कुछ दिन का ही बचा है। वे बाहर कैसे निकलेंगे, वहां की सरकार क्या कर रही है, बच्चों को इस बारे में कुछ अधिकृत जानकारी नहीं अभिभावकों ने सरकार से विशेष प्लेन भेज बच्चों को भारत लाने की मांग की है।