Russia Ukrain War: सात दिन से संघर्ष कर रही शाजापुर की खुशी दुबे, अब भेजी यह खबर

खुशी की वतन वापसी की राह हो रही आसान, हंगरी देश के बुडापोस्ट पहुंची, जल्द ही होगी स्वदेश वापसी, राजवीर और उत्कर्ष भी खतरे वाले स्थान से पहुंचे दूर, जल्द पहुंचेंगे भारत

Russia Ukrain War: सात दिन से संघर्ष कर रही शाजापुर की खुशी दुबे, अब भेजी यह खबर
खुशी ने भेजा ट्रेन के अंदर का फोटो जिससे वो कीव से बाहर निकली

खबरीराम 24 @ शाजापुर. जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तब से पूरे दिन और रात परिजन टीवी के सामने टकटकी लगाए बैठे हैं। क्योंकि बेटी यूक्रेन के सबसे ज्यादा प्रभावित कीव शहर में ही एक होस्टल के बैसमेंट में फंसी हुई थी। लगातार दुआएं और हर जगह प्रयास किए। पल-पल बैचेनी बढ़ती जाती, जब वॉट्सएप पर बेटी का कॉल आता और उसकी कुशलक्षेम पता लगती तो जान में जान आती, लेकिन अगले ही पल बमबारी की खबरों से मन विचलित होता रहता। एक सप्ताह इसी बेचैनी में बिताने के बाद मंगलवार देर रात यूक्रेन से खुशी की राहत भरी खबर आई कि वो यूक्रेन के समीपस्थ देश हंगरी के बुडापोस्ट पहुंच गई है। जहां से जल्द ही वो अपने घर लौट आएगी।

नई सड़क निवासी शेरू दुबे ने बताया कि उनकी बेटी खुशी यूक्रेन की राजधानी कीव में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी। वो 24 फरवरी को यूक्रेन के कीव शहर के एयरपोर्ट पर फ्लाइट का इंतजार कर रही थी। इसी दौरान एयरपोर्ट पर मिसाइल से हमला हो गया। इसके बाद खुशी अन्य विद्यार्थियों के साथ अपनी जान बचाने के लिए पहले बस स्टैंड पहुंची। वहां से बोगोमोल्टीस यूनिवर्सिटी कीव के होस्टल के बैसमेंट में शरण ली। हर समय बम के धमाकों के बीच भूखे, प्यासे रहकर खुशी ने अन्य विद्यार्थियों के साथ यहां जैसे-तैसे समय काटा। शेरू दुबे ने बताया कि इंडियन एंबेसी से पहले तो कुछ मदद नहीं मिल पाई। जब कीव में कफ्र्यू में ढील दी गई और कहा गया कि जल्द से जल्द कीव छोड़ दें।

बदलते रहे साधन

खुशी ने अपने परिजनों को फोन पर बताया कि होस्टल के बैसमेंट से निकलकर सबसे पहले वो करीब 5 किमी तक पैदल चलते हुए कीव के रेलवे स्टेशन पहुंची। उन्हें जो एंबेसी की ओर से बताया गया रूट था उसके हिसाब से वो यहां से वो ट्रेन से उजहोर्ड पहुंची। वहां से बस से चॉप रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां से इमिग्रेशन करते हुए ट्रेन से जोहानी पहुंची। जो कि हंगरी की बॉर्डर पर था। यहां पर उन्हें टेंपरेरी वीजा दिया गया। इसके बाद वो जोहानी से ट्रेन में सवार होकर बुडापोस्ट पहुंची। लगातार सफर के बाद उसे और अन्य 6 छात्राओं को यहां पर ठहरने के लिए एक हॉल की व्यवस्था की गई। इसके बाद सभी को भोजन दिया गया। खुशी ने बताया कि कीव में हो रहे हमले के बीच न तो खाना-पानी मिल रहा था और न ही वो नींद ले पा रही थी। अब बुडापोस्ट में आकर राहत मिली। खुशी ने बताया कि यहां पर उनकी पूरी व्यवस्था इंडियन एंबेसी द्वारा की गई है। जल्द ही वो भारत सरकार द्वारा छात्रों को निकालने के लिए भेजी जा रही फ्लाइट से भारत पहुंचेगी। खुशी ने अपने परिजनों को जब यह कहा कि अब कोई चिंता की बात नहीं है वो पूरी तरह सुरक्षित है तब पूरे परिवार ने चैन की सांस ली। अब सभी को अपनी बेटी के जल्द से जल्द घर आने का इंतजार है।

राजवीर और उत्कर्ष भी मेट्रो से पहुंच रहे सुरक्षित स्थान पर

यूक्रेन के खारकीव में फंसे राजवीर सिंह गोहिल के पिता प्रतापसिंह गोहिल ओर उत्कर्ष नागर के पिता दिलीप नागर ने बताया कि खारकीव से जल्द से जल्द हिंदूस्तानी विद्यार्थियों को निकलने के लिए अलर्ट जारी किया गया। ऐसे में राजवीर और उत्कर्ष अपने होस्टल से बाहर निकले और जैसे-तैसे मशक्कत करके यूक्रेन के नागरिकों से भरी मेट्रो ट्रेन में सवार होकर लिविव की ओर जा रहे है। परिजनों ने बताया कि वे दोनों भी हंगरी के बुडापोस्ट पहुंचेंगे। दोनों युवाओं ने अपने परिजनों को बताया कि वो खतरे वाले स्थान से दूर पहुंच गए है। अब चिंता की बात नहीं है। जल्द ही वो भारत लौट आएंगे। राजवीर और उत्कर्ष के सकुशल यूक्रेन के खारकीव से निकलने की जानकारी मिलने पर दोनों के ही परिजनों ने राहत की सांस ली।