यह है नपाध्यक्ष का तीसरा चेहरा, जमीनी कार्यकर्ता को अवसर देकर परंपरा कायम रखेगी भाजपा!!

नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए दो दावेदारों की खींचतान के बीच भारतीय जनता पार्टी तीसरे नाम पर भी विचार कर रही है। अगर दोनों दावेदारों में कोई एक अपनी मर्जी से कदम पीछे लेने के लिए तैयार नहीं होता है तो पार्टी अध्यक्ष के दावेदार के रूप में जमीनी कार्यकर्ता को भी आगे कर मिसाल पेश कर सकती है।

यह है नपाध्यक्ष का तीसरा चेहरा, जमीनी कार्यकर्ता को अवसर देकर परंपरा कायम रखेगी भाजपा!!

दो दावेदारों की खींचतान में तीसरे को मिल सकता है फायदा

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR 

भारतीय जनता पार्टी के बारे में कहा जाता है कि यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है, यहां संगठन ही सर्वोपरि है। व्यक्ति विशेष के हिसाब से भाजपा नहीं चलती है, संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी कोई भी निर्णय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से विमर्श के बाद ही करते हैं। साथ ही यहां सामान्य कार्यकर्ता को भी अवसर दिए जाते रहे हैं। ऐसा ही उज्जैन और इंदौर नगर निगम चुनाव के दौरान हो चुका है। उज्जैन में भाजपा ने शिक्षक मुकेश टटवाल को तो इंदौर में एडिशनल एडवोकेट जनरल पुष्यमित्र भार्गव को महापौर बनाया। इसी तरह देश के शीर्ष पदों पर भी बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी है। इस तरह का निर्णय अब भारतीय जनता पार्टी शाजापुर नगर पालिका के अध्यक्ष को लेकर भी कर सकती है। ऐसे ही एक कार्यकर्ता हैं, जो भाजपा की रीति-नीति और चुनावी समीकरण के हिसाब से फिट बैठते नजर आ रहे हैं।

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राजधानी के भाजपा सूत्रों ने चर्चा में बताया कि शाजापुर नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए प्रेम जैन और संतोष जोशी के बीच जारी खींचतान सतह पर आ गई है। दोनों ही दावेदार अध्यक्ष पद के लिए पूरी ताकत से डटे हुए हैं। शहर में भी दोनों पार्षदों के समर्थक उनके पक्ष में माहौल तैयार कर रहे हैं, लेकिन इस स्थिति के कारण पार्टी की छवि खराब हो रही है। लोग चर्चा कर रहे हैं कि भाजपा में नेतृत्व के निर्देशों का अक्षरक्ष: पालन होता है, लेकिन यहां इतने लोग दावेदारी कर रहे हैं, किसी भी एक दावेदार के लिए कोई भी एकमत होता नजर नहीं आ रहा। ऐसे में पार्टी की ओर से लगभग तय हो चुके नाम को होल्ड कर दिया गया है। वहीं अब तीसरे प्रत्याशी के रूप में ब्राह्मण समाज से ही दावेदार बनाने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है।

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वार्ड 28 के पार्षद मुकेश दुबे की चर्चा

भाजपा में अध्यक्ष के लिए तीसरा नाम वार्ड 28 के पार्षद मुकेश दुबे का है। अंदरखाने से खबर है कि भितरघात और क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए पार्टी मुकेश दुबे को अध्यक्ष के तौर पर अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है। पहली बार पार्षद बने मुकेश दुबे का नाम किसी के गले नहीं उतर रहा है, लेकिन समीकरण तो यही बनते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि बीच में पिछड़ा वर्ग से आने वाले प्रेम यादव, कौशल कसेरा के नाम भी चर्चा में रहे, लेकिन दोनों ही नेता पार्षद का चुनाव ही मामूली अंतर से जीते हैं, ऐसे में इनकी दावेदारी को विराम लग सकता है। 

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इसलिए सामने आया मुकेश का नाम

  • नगर पालिका चुनाव में सबसे ज्यादा 630 वोट से कांग्रेस के सचिन भट्ट को हराया, ऐसे में जनाधार विहीन नहीं कह सकते। प्रचार के दौरान सचिन भट्ट आगे नजर आ रहे थे, लेकिन मुकेश ने धैयपूर्वक चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से विजयी भी हुए।
  • ब्राह्मण समाज से हैं। अध्यक्ष के लिए ब्राह्मण चेहरा होने की बात पर खरे उतरते हैं।
  • बीमा अभिकर्ता होकर मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। भाजपा के आम कार्यकर्ता को मौका देने की परंपरा कायम रह सकती हैै।
  • करीब 25 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के लिए निस्वार्थ कार्य कर रहे हैं। 
  • पूर्व विधायक अरुण भीमावद के करीबी हैं और भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता हैं।
  • शहर में निर्विवाद छवि है, बेहद ही मिलनसार युवा हैं। कभी किसी मामले में नाम नहीं आया।
  • दो पार्षदों में प्रतिष्ठा बनी अध्यक्ष की दावेदारी के कारण पार्टी की किरकिरी हो रही है और भाजपा को भितरघात का डर सता रहा है। अगर चर्चा से बाहर निकलकर मुकेश के नाम पर सहमति बनती है तो यह खतरा भी टल सकता है। 

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