SHAJAPUR: उफनती नदी और निर्माणाधीन पुल...साइबर सेल प्रभारी ने लिया जोखिम लेकिन कार सहित बहने लगे...युवकों ने छलांग लगाकर बचाई जान
शाजापुर जिले के साइबर सेल प्रभारी उफनती नदी को पार करते समय डूबते-डूबते बचे। शुक्रवार देर रात भोपाल से शाजापुर लौटते समय यह हादसा हुआ। हालांकि जब साइबर सेल प्रभारी का वाहन पानी में बहने लगा तो मौके पर मौजूद दो युवकों ने नदी में छलांग लगाकर उन्हें वाहन से बाहर खींच लिया और उनकी जान बचा ली। बता दें, आज से एक माह पूर्व सीहोर जिले में उफनती सीवन नदी को पार करने में मोहन बड़ोदिया तहसीलदार नरेंद्र सिंह ठाकुर और सीहोर जिले के पटवारी महेंद्र रजक बह गए थे, डूबने से उनकी मौत हो गई थी।
सुंदरसी में कालीसिंध पुल पर हुई घटना
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
यह घटना शुक्रवार रात करीब 9.30 बजे ग्राम सुंदरसी में कालीसिंध नदी की पुलिया पर हुई। जिले के साइबर सेल प्रभारी एसआई अंकित मुकाती भोपाल से ट्रेनिंग लेकर निजी कार से शाजापुर लौट रहे थे। जब वे कालीसिंध नदी पहुंचे तो उस पर से पानी बह रहा था। पहले वे बड़ी पुलिया पर पहुंचे लेकिन उसका फिलहाल निर्माण कार्य चल रहा है, जिससे निकलना अभी संभव नहीं है। इस पर वे छोटी पुलिया पहुंचे लेकिन उस पर से भी बारिश का पानी बह रहा था। उन्होंने फिर भी जोखिम लिया और पानी में अपना वाहन उतार दिया, लेकिन तेज बहाव के कारण उनका वाहन नदी में बह गया।
जब उनका वाहन डूब रहा था तब उसे नीचे नदी से बहते सामान को जमा कर रहे दो युवकों ने देख लिया और नदी में छलांग लगा दी और उनके वाहन के गेट खोलकर उन्हें बाहर निकालकर किनारे पर बैठाया। कुछ देर बाद संभलने के बाद उन्होंने इसकी सूचना जिला मुख्यालय पर की। जहां से वे साइबर के वाहन में बैठकर शाजापुर पहुंचे। इसके बाद सुबह एसडीआरएफ टीम ने उनके वाहन को तलाशने का काम शुरू किया। समाचार लिखे जाने तक टीम द्वारा वाहन की सर्चिंग की जा रही थी।
टॉर्च का सिग्नल देख लेते तो नहीं होता हादसा
इन दिनों ग्राम सुंदरसी में कालीसिंध नदी की पुलिया पर निर्माण कार्य चल रहा है। यहां से गुजरने वाले वाहनों को रोकने के लिए वहां ठेकेदार ने कुछ लोगों को नियुक्त कर रखा है। जब यह हादसा हुआ वहां ठेकेदार हिरेंद्र ठाकुर भी मौजूद था, जिसने उन्हें छोटी पुलिया से गुजरने से मना भी किया था और टॉर्च से सिग्नल भी दिया था। लेकिन शायद वाहन के कांच बंद होने से उन्हें सिग्नल दिखाई नहीं दिया। यदि वे सिग्नल देख लेते तो यह हादसा नहीं होता।
जान बचाकर हो गए गायब
सामान एकत्रित कर रहे जिन लोगों ने उनकी जान बचाई वे उन्हें किनारे पर बैठाकर फिर अपने काम में लग गए। सुबह मुकाती की जान बचाने वाले दो युवकों के बारे में जानकारी भी जुटाने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला।