धर्म-संस्कृति: जैन साध्वी ने रोटी का उदाहरण देकर बताई मन की एक्सपायरी डेट

शनिवार को शाजापुर के जैन उपाश्रय में साध्वी प्रविद्धि श्रीजी और साध्वी समृद्धि श्रीजी ने समाजजनों को आशीवर्चन प्रदान किए। इस दौरान समाज के नौ दिवसीय अखंड जाप और सामूहिक एकासने भी प्रारंभ हो गए।

धर्म-संस्कृति: जैन साध्वी ने रोटी का उदाहरण देकर बताई मन की एक्सपायरी डेट
धार्मिक क्रियाओं के साथ अखंड जाप करते समाजजन

सर्व सिद्धिदायक है नवकार महामन्त्र का जाप 

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)

14 पूर्व का सार नवकार महामन्त्र है। यह मंत्र आध्यात्मिक शक्ति का भंडार है। बिना साधना के सिद्धि नहीं मिलती। यह सर्व सिद्धिदायक मंत्र है, जो हर सिद्धि को देने में सक्षम है। आज से नौ दिवसीय एकासने के साथ इस सर्वकल्याणकारी मंत्र की अखंड साधना की शुरुआत हो रही है।

शाजापुर के जैन उपाश्रय में शनिवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी प्रवृद्धि श्रीजी ने समाजजनों को आशीर्वचन देते हुए यह बात कही। उन्होंने नवकार महामंत्र की महत्ता बताते हुए कहा कि नवकार स्वाधीन मंत्र है, बाकि मंत्र पुण्य के अधीन है। पुण्य होगा तो फल मिलेगा किन्तु नवकार पुण्य का उपार्जन कर फल देता है। 

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एक क्षण में बिगड़ जाता है मन

साध्वी समृद्धि श्रीजी ने कहा कि रोटी को बिगडऩे में एक दिन लगता है लेकिन मन को बिगडऩे में एक क्षण लगता है। इसकी एक्सपायरी डेट तुरंत आ जाती है। चंचल मन पर लगाम बांधने का काम अखंड जाप करता है। इस दौरान साध्वीगणों की पावन निश्रा में धार्मिक क्रिया के साथ नौ दिवसीय अखंड जाप और सामूहिक एकासने प्रारंभ हुए, जिसके लाभार्थी मितेश कुमार-महेंद्र कोठारी परिवार रहे। इस दौरान प्रथम दिवस मंदिर और स्थानकवासी जैन समाज के 120 से अधिक तपस्वियों ने एकासने की तपाराधना का लाभ लिया। वहीं शनिवार से आगामी नौ दिनों के लिए चौबीस घंटों के सर्वकल्याणकारी अखंड नवकार महामंत्र के जाप भी प्रारंभ हो गए। इस दौरान बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।

 दादावाड़ी में स्थापित नवकार महामंत्र।

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इन्होंने लिया नवकार साधना की बोलियों का लाभ

समाज के मीडिया प्रभारी मंगल नाहर ने बताया कि नौ दिवसीय नवकार महामन्त्र साधना के लिए विभिन्न बोलियां लगाई गई। जिनका लाभ समाजजनों ने लिया। परमात्मा की स्थापना राजकुमार भंडारी, नवकार स्थापना लोकेन्द्र कुमार - जितेन्द्र कुमार नारेलिया, महानिविध सूत्र प्रतीक कुमार - मोतीलाल मांडलिक, भगवती सूत्र (नवकार पुस्तक) प्रीत मांडलिक, मंगल कुंभ कलश स्थापना महेश कुमार - राजमल भरड़ वाले, अखंड दीपक स्थापना  चंदाबेन श्रीमाल, जल कुंभ की स्थापना  पंकज मांडलिक, अक्षत पात्र की स्थापना पुलकित नाहर, आसन की स्थापना आनंद कुमार बरडिय़ा, माला की स्थापना विनोद श्रीमाल सहित 108 पुष्प की बोली ओमप्रकाश बुरड़ तथा आरती व मंगल दीपक की बोली रवींद्र छाजेड़ परिवार द्वारा लिया गई।