Public issue : नए भवन में ओटी और पुराने में एक्स-रे, जिला अस्पताल में टूटी हड्डी के साथ 300 मीटर का चक्कर 

शाजापुर का जिला अस्पताल कहने को तो नए भवन में संचालित हो रहा है, लेकिन अभी भी कई जरूरी सुविधाओं के लिए मरीजों को पुराने भवन में जाना पड़ रहा है। इसमें उनका दर्द दोगुना हो रहा है। क्योंकि कई बार मरीजों को वील चेयर या स्ट्रेचर पर पुराने भवन में लेकर जाना पड़ता है। यहां तक जाने के रास्ते में चैनल गेट और उबड़-खाबड़ रैंप है। ऐसे में मरीजों के साथ ही उनके परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या के प्रति जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं।

Public issue : नए भवन में ओटी और पुराने में एक्स-रे, जिला अस्पताल में टूटी हड्डी के साथ 300 मीटर का चक्कर 
इस तरह मरीज के परिजन वील चेयर को उठाकर चैनल गेट से निकलते हैं। ऐसे में मरीज की तकलीफ बढ़ जाती है।

रोजाना दर्जनों मरीज भोग रहे पीड़ा

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)

करीब ढाई साल पहले जिला अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर पुलिस लाइन रोड स्थित नए भवन में संचालित होना शुरू हुआ। आलीशान भवन होने के बाद भी कई सुविधाओं के लिए मरीजों को पुराने भवन में जाना पड़ता है। ऐसे ही एक्स-रे करवाने के लिए मरीजों को चक्कर लगाना पड़ रहा है। 

अस्पताल में कोई भी एक्सीडेंटल केस आता है तो पहले उसके परिजनों को खिडक़ी से पर्ची कटवाना पड़ती है। उसके बाद मानइर ऑपरेशन थियेटर में मरीज को ले जाया जाता है। यहां जांच के बाद जरूरी हुआ तो मरीज को एक्स-रे करवाने के लिए कहा जाता है। अब मरीज को यहां से वील चेयर या फिर स्टे्रचर पर लेटाकर पुराने भवन के आखिरी छोर तक ले जाया जाता है। यहां एक्स-रे करवाने के बाद मरीज को दोबारा नए भवन में लाया जाता है, जहां उसे भर्ती किया जाता है। इस चक्कर में मरीज की तकलीफ काफी बढ़ जाती है।

चैनल गेट से वील चेयर निकालने में मशक्कत

नए भवन की माइनर ओटी से पुराने भवन में स्थित एक्स-रे केंद्र की दूरी करीब 300 मीटर होगी। लेकिन हड्डी के मरीजों का यहां तक पहुंचना किसी पहाड़ चढऩे के समान है। क्योंकि रास्ते तीन जगह उबड़ खाबड़ रैंप, एक जगह जालीदार नाली और दो जगह चैनल गेट आता है। रैंप और नाली के ऊपर से तो वील चेयर निकल जाती है, लेकिन चैनल से निकलने में मरीज के परिजनों को काफी मशक्कत करना पड़ती है। वील चेयर को उठाकर चैनल की बाधा पार करना होती है। ऐसे में मरीज का दर्द बढ़ जाता है। आने जाने में मरीज का करीब 300 मीटर का चक्कर वील चेयर पर लग रहा है।

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पुराने भवन के रैंप भी उबड़-खाबड़ हो रहे हैं

यह हो सकता है

एक्स-रे केंद्र को नए भवन में शिफ्ट किया जा  सकता है। साथ ही हड्डी के मरीज को प्लास्टर चढ़ाने की सुविधा भी नए भवन में ही दी जा सकती है। ऐसा होता है तो पहले से घायल मरीज को पीड़ा भोगते हुए 300 मीटर का चक्कर नहीं लगाना होगा। अगर यह संभव नहीं हो तो ऐसे मरीजों को पुराने भवन में ही भर्ती करने की व्यवस्था भी हो सकती है।

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बोले सिविल सर्जन-जगह की कमी है

इस संबंध में खबरीराम 24 मीडिया ने सिविल सर्जन और अस्पताल सहअधीक्षक डॉ भवभूतसिंह मैना से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि एक्स-रे का पूरा सेटअप बरसो से पुराने भवन के कमरे में है, उसे नए भवन में कैसे ले जाएं। नए भवन में भी जगह की कमी है। मरीजों के दर्द के सवाल पर डॉ मैना ने कहा कि मरीजों को एक्स-रे सेंटर तक ले जाने में परेशानी तो है, चर्चा करने के बाद इस पर कोई निर्णय लेंगे। फिलहाल चैनल गेट और रैंप को तो दुरुस्त करवा देंगे।