नगर पालिका चुनाव: 16 की शाम तक दोनों दल घोषित करेंगे नाम, कोर्ट के फैसले का कर रहे इंतजार
नगर पालिका चुनाव में नामांकन दाखिल करने के लिए 18 जून आखिरी तारीख है। 11 जून से नामांकन फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन अब तक दोनों प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने पार्षद प्रत्याशियों की अधिकृत सूची जारी नहीं की है। बताया जा रहा है कि जबलपुर हाइकोर्ट में दायर याचिका के कारण पार्टियां प्रत्याशी घोषित नहीं कर रही है। अगर फैसला अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के सरकार के निर्णय के विरुद्ध आता है तो नगर पालिका चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। ऐसे में दोनों दलों को नए सिरे से समीकरण जमाना पड़ेंगे।
पार्षद प्रत्याशी तय करने में दोनों दलों को करना पड़ रही मशक्कत
खबरीराम 24 @ शाजापुर (मप्र)
नगर पालिका चुनाव के लिए नाम निर्देशन पत्र जमा करने के पांच दिन निकल जाने के बाद भी दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों अपने प्रत्याशियों का चयन नहीं कर सके हैं। दोनों की पार्टियों की ओर से अधिकृत सूची जारी नहीं हो सकी है। हालांकि खुद का टिकट पक्का समझकर कई दावेदारों ने नामांकन फॉर्म लेकर भर भी लिए हैं। अब चर्चा है कि 16 जून की शाम तक दोनों ही दल प्रत्याशी घोषित करेंगे। ऐसे में उन्हें नामांकन दाखिल करने के लिए 17 और 18 जून दो दिन मिलेंगे।
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शाजापुर में नगर पालिका चुनाव में 6 जुलाई को मतदान होना है। इसके लिए नाम निर्देशन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 18 जून तय की गई है। अभी तक नाम निर्देशन पत्र जमा करने के पांच दिन बीत गए हैं, लेकिन दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा अपने एक भी अधिकृत प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया गया है। ऐसे में सभी दावेदारों की धडक़ने बढऩे लगी हैं, वहीं लोगों में भी जिज्ञासा बढ़ती जा रही है कि आखिर कब तक प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगेगी। हालांकि अनेक दावेदारों ने न सिर्फ नामांकन फॉर्म भरकर रख लिए हैं, बल्कि अपने-अपने क्षेत्रों में जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है।
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प्रत्याशियों के चयन को लेकर चल रही जद्दोजहद
राजनीतिक दलों के पदाधिकारियें से चर्चा जानकारी के अनुसार भाजपा और कांग्रेस में अलग-अलग वार्ड से चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त है। अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाले अध्यक्ष पद के चयन के लिए हर कोई अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में जुटा हुआ है। वार्ड पार्षद पद के लिए भी सभी दावेदार अपनी दावेदारी को सबसे ज्यादा मजबूत दिखाने लगे हुए हैं। इसके चलते दोनों ही प्रमुख दलों में अभी तक पार्षद के सभी दावेदारों की अंतिम सूची तैयार नहीं हो पाई है। दोनों ही दलों द्वारा असंतुष्टों को पूरी तरह संतुष्ट करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके चलते प्रत्याशियों के चयन में जद्दोजहद चल रही है।
संभागीय समिति में गए हैं नाम
शहर के 29 वार्डों में कई वार्डों में एक ही पाटी के चार से पांच उम्मीदवार चुनाव लडऩे के लिए तैयार खड़े हैं। ऐसे में पार्टी के सामने उलझन खड़ी हो गई है। जिस किसी दावेदार को टिकट नहीं मिलता, उससे भितरघात का खतरा रहता है। ऐसे में ऐसे वार्डों में प्रत्याशी का चयन संभागीय समिति के माध्यम से किया जा रहा है। इस कारण ही प्रत्याशी चयन करने में देर हो रही है।
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कोर्ट में लगी है याचिका
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर हाइकोर्ट में याचिका लगी हुई है। इस पर 14 जून को सुनवाई होना थी, लेकिन किन्हीं कारणों से सुनवाई टल गई। अब एक-दो दिन में यहां से भी फैसला आ सकता है। दरअसल एमपी में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में इस बार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रणाली लागू हो रही हैं। महापौर का चुनाव सीधे जनता से तो नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों से कराया जाएगा, लेकिन सरकार के इस फैसले को अब जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि महापौर की तरह ही नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली यानि सीधे जनता से कराया जाए।
जबलपुर हाइकोर्ट में यह याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से दायर की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है। राज्य सरकार ने नगर पालिक अधिनियम की धारा-9 में संशोधन कर महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लिया। वहीं, सरकार ने अध्यादेश जारी कर नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव चुने गए पार्षदों से कराने का फैसला ले लिया। याचिका में दलील दी गई है कि दोनों की कार्यप्रणाली में कोई अंतर नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार का ये कदम भेदभावपूर्ण है। याचिका में विधि एवं विधायी कार्य विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग को पक्षकार बनाया गया।
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