खबरीराम लाइव: पहली सवारी में राजा महाकाल का शाही अंदाज, एक लाख से ज्यादा भक्त, इंद्रदेव ने किया जलाभिषेक

कोरोना काल के दो साल बाद 2022 में सावन के पहले सोमवार को राजाधिराज महाकाल की पहली सवारी पूरे लाव लश्कर के साथ निकली। परंपरागत मार्ग से ही निकली सवारी का स्वरूप एकदम शाही सवारी की तरह नजर आया। कभी तेज तो तभी रिमझिम बारिश के बीच जहां देखो वहां भोले बाबा के निराले भक्त नजर आ रहे थे।  कोई सिर पर चंदन लगाए था तो कोई गले में रुद्राक्ष की माला पहने नजर आया।  

खबरीराम लाइव: पहली सवारी में राजा महाकाल का शाही अंदाज, एक लाख से ज्यादा भक्त, इंद्रदेव ने किया जलाभिषेक
रामघाट पर क्षिप्रा जल से राजाधिराज का जलाभिषेक किया गया।

राजा को करीब पाकर भक्त निहाल

खबरीराम 24 डॉट कॉम @ उज्जैन

सावन के महीने का उज्जैन शहर के निवासियों के साथ ही देश-विदेश के श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस माह ें राजाधिराज महाकाल चांदी की पालकी में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकलते हैं। उज्जैन में पूरे सावन में उत्सवी माहौल रहता है। इस बार 18 जुलाई को सावन के पहले सोमवार पर बाबा महाकाल मनमहेश स्वरूप में शृंगारित होकर राजसी अंदाज में नगर भ्रमण पर निकले। सर्वप्रथम दोपहर करीब 3.30 बजे सभामंडप में बाबा का पूजन किया गया। महाकाल मंदिर समिति अध्यक्ष और उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने पत्नी के साथ बाबा की पूजा की। इस समय सभामंडप पूरी तरह भरा हुआ था। पूजन के बाद बाबा महाकाल से आज्ञा लेकर पालकी को उठाया गया। मंदिर परिसर में पालकी आते ही जय महाकाल का उद्घोष होने लगा। यहां नए रैंप से होते हुए पालकी मंदिर के बाहर आई। यहां सशस्त्र बल के जवानों ने राजा महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस दौरान मंदिर के आसपास भक्तों का सैलाब नजर आ रहा था। हर कोई अपने राजा की एक झलक देखने को आतुर था। 

यहां प्रजा को निहारने के बाद राजाधिराज नगर भ्रमण के लिए चल पड़े, जैसे ही पालकी उठी, भक्त उतावले हो गए, आंखों में आंसू की धारा और दोनों हाथ उठाकर राजा का अभिवादन करने लगे। कड़ाबीन के धमाके और पुलिस के बैंड की धुन भक्तों को उत्साह से लबरेज कर रही थी। करीब एक दर्जन से ज्यादा भक्त मंडली कीर्तन करते हुए चल रही थी। मंदिर से पालकी आगे बढ़ी और महाकाल घाटी पहुंची। यहां सडक़ के दोनों तरफ घंटों से बाबा का इंतजार कर रहे भक्त पालकी करीब आते ही गद्गद हो उठे। यहां पुष्प वर्षा कर राजा का स्वागत किया गया। यहां पालकी आगे बढ़ी और गुदरी चौराहा पहुंची। यहां पर सडक़ के दोनों तरफ ऊंचे बैरिकेड्स लगे हुए थे। इस कारण भक्तों को बाबा की झलक देखने के लिए बैरिकेड्स के ऊपर चढऩा पड़ा। इस दौरान यहां हल्की धक्का मुक्की भी हुई। फिर भी भक्तों कोई फर्क नहीं पड़ा। जैसे भी हो वे बाबा के दर्शन करना चाहते थे। यहां से सवारी बक्शी बाजार और कहारवाड़ी, हरसिद्धि घाटी, रामानुजकोट होते हुए रामघाट की तरफ चल पड़ी। बीच में संकरी गलियों में बने मकानों के छतें भक्तों से भरी हुई थी। हर छत से फूलों की बरसात हो रही थी। अपने घर के सामने राजा को देखकर भक्त दंडवत करते नजर आए। 

राजा की पालकी बंबईवालों की धर्मशाला के सामने पहुंची। यहां इतने भक्त थे कि रास्ता नजर ही नजर ही नहीं आ रहा था। पालकी तेजी से आगे बढ़ रही थी। यहां पुलिस ने स्टॉपर लगाया हुआ है, जिसके कारण थोड़ी धक्का मुक्की यहां भी हुई। यहां से पालकी रामघाट में प्रवेश करती है। रामघाट पहुंचे तो नजारा देखने लायक था। हालांकि यहां आम भक्तों को प्रवेश नहीं मिलता है। ऐसे में भक्त घाट के आसपास के मंदिरों, नृसिंह घाट और क्षिप्रा नदी के दूसरी तरफ दत्त अखाड़ा घाट, गुरुनानक घाट पर मौजूद थे। नृसिंह घाट के पास वाला बड़ा पुल भी भक्तों से खचाखच भरा हुआ था। पालकी आने से पहले कड़ाबीन के धमाकों ने भक्तों को राजा के आने की सूचना दी तो सारे भक्त खड़े हो गए और राजा की जय-जयकार करने लगे। बैरिकेड्स के बीच से होकर राजा महाकाल घाट पर पहुंचे। यहां मोक्षदायिनी मां क्षिप्रा के जल से बाबा का अभिषेक किया गया। इस दौरान इंद्र देव भी आ गए और हल्की फुहारों के साथ राजा का अभिषेक करने लगे। इस दौरान ऐसा महसूस हुआ जैसे फूलों से सुसज्जित पालकी में विराजित राजा महाकाल मुस्कुरा रहे हैं।

कलेक्टर और उनकी पत्नी ने संभामंडप में किया पूजन

रामघाट पर पूजन के बाद कहारों ने पालकी को उठाया तो हजारों भक्त जयकारे करने लगे। इस दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। राजा के दर्शन कर भक्त निहाल हो गए। यहां के बाद पालकी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक होते हुए गोपाल मंदिर पहुंची। गोपाल मंदिर के सामने बाबा की पालकी का पूजन किया गया। यहां छत्री चौक तक बाबा के भक्त नजर आ रहे थे। इसके बाद बाबा की पालकी पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, महाकाल घाटी से होती हुई करीब पांच किलोमीटर चलकर ठीक 7.30 बजे मंदिर पहुंची। एक अनुमान के मुताबिक करीब एक लाख से ज्यादा भक्तों ने सवारी के दर्शन किए हैं।

चाक चौबंद रही व्यवस्था

करीब दो साल बाद परंपरापराग मार्ग से निकली सवारी को लेकर पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था चाक चौबंद नजर आई। जिला प्रशासन और पुलिस के तमाम अधिकारी व्यवस्था में लगे रहे। सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के लिए करीब 300 पुलिस जवान तैनात रहे। साथ ही कुछ जगहों पर निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे भी नजर आए।

दूसरी सवारी 25 को 

सावन-भादौ मास में सवारी के क्रम में राजा महाकाल की दूसरी सवारी 25 जुलाई को निकलेगी। इसमें रजत पालकी में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के स्वरूप में और हाथी पर श्री मनमहेश के स्वरूप में विराजित होंगे।