Shajapur : पीआइसी के लिए फिट हुईं ‘गोटियां’, ध्वजारोहण के बाद घोषणा संभव
नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव के आठ दिन के अंतराल में प्रेसिडेंट इन कौंसिल (पीआइसी) का गठन होना चाहिए। शाजापुर में अध्यक्ष का चुनाव हुए 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक पीआइसी अस्तित्व में नहीं आई हैं। हालांकि नाम तय हो चुके हैं और समीकरण भी बन चुके हैं। संभवत: स्वतंत्रता दिवस के समारोह के बाद इनकी घोषणा हो सकती है।
पूरे चुनाव रही सिर फुटव्वल
खबरीराम 24 डॉट कॉम @ SHAJAPUR (MP)
नगर पालिका चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी में टिकट वितरण से लेकर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव तक सिर फुटव्वल की स्थिति रही। तीन गुटों में बंटी भाजपा में अपने चहेतों को टिकट दिलानेे और नाम वापसी के दौरान भारी गुटबाजी देखने को मिली है। इसके बाद एक-दूसरे को हराने के प्रयास भी किए गए। आखिरकार भाजपा के 17 पार्षद निर्वाचित हो गए। इसके बाद भी भाजपा को अपने पार्षदों पर भरोसा नहीं रहा। खरीदी-बिक्री-बोली-नीलामी के डर से देवदर्शन के बहाने पार्षदों की बाड़ाबंदी कर दी गई। एक पखवाड़े तक पाषदों को खिलाने-पिलाने और घुमाने-फिराने के बाद पांच अगस्त को सीधे नगर पालिका लाया गया। यहां अध्यक्ष के रूप में प्रेम जैन और उपाध्यक्ष के रूप में संतोष जोशी का नाम घोषित कर दिया गया। हालांकि समीकरण ऐसे बने कि कांग्रेस के 9 पार्षद चुनाव में आए ही नहीं। ऐसे भाजपा क्रॉस वोटिंग के खतरे से बच गई और निर्विरोध रूप से भाजपा नगर पालिका में काबिज हो गई।
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अब सभापति के लिए दांवपेंच
अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव के बाद नगर पालिका की पांच समितियों में सभापति का मनोनयन और दो अपीलीय समिति के सभापति का निर्वाचन होना था। अपीलीय समिति का निर्विरोध निर्वाचन तो पांच अगस्त को ही हो गया। इसमें महेश कुशवाह और कीर्ति प्रशांत चौहान को सभापति बनाया गया। इसके बाद अब सभी की नजर नगर पालिका की पांच समितियों पर है, जिनमें मनोनयन होना है। इसके लिए नाम तय किए जा चुके हैं। इसकी घोषणा के लिए 15 अगस्त के मुहूर्त का इंतजार किया जा रहा है।
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यह है पांच समितियां
नगर पालिका में लोक निर्माण विभाग, जल, स्वास्थ्य , राजस्व और महिला एवं बाल विकास समिति हैं। इन पांच समितियों के सभापति बनने के लिए 10 भाजपा पार्षद प्रयासरत हैं। इनमें बागी होने के बाद फिर से ‘समर्पित’ हुआ पार्षद और दो महीने में तीन दल बदलने वाला पार्षद भी शामिल है। सभापति बनने के लिए ये सभी नेता अपने आकाओं की शरण में है।
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वरिष्ठों को मिल रहा मौका
बताया जा रहा है नगर पालिका की पांचों समितियों में ऐसे पार्षद, जो एक बार से ज्यादा जीते हैं , उन्हें मौका दिया जा रहा है। ऐसे चार पार्षद कौशल कसेरा, प्रेम यादव, दिनेश सौराष्ट्रीय और विक्रम यादव हैं। चार समिति में इनका नाम तो लगभग तय माना जा रहा है। वहीं बची एक समिति के लिए दो ‘आयातित’ पार्षद, सबसे ज्यादा वोट से जीते पार्षद और हिंदूवादी संगठन से आए पार्षद शामिल है।
‘आयातित’ पार्षद को देंगे समिति तो होगा विरोध
बताया जा रहा है कि ‘डील’ के अनुसार भाजपा की ओर से आयातित दोनों पार्षदों को सभापति बनाया जा सकता है। नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के दौरान होने वाले संभावित खतरे से बचने के लिए ही उन्हें भाजपा में लाया गया था। हालांकि क्रॉस वोटिंग की नौबत ही नहीं आई, ऐसे में भाजपा को अब इन पार्षदों की कोई खास जरूरत भी नहीं है। अगर इन्हें सभापति नहीं भी बनाए तो पार्टी का कुछ नुकसान नहीं होगा। वहीं अगर वरिष्ठता को दरकिनार कर नए-नवेले और अवसरवादियों को सभापति बना भी दिया जाता है तो कलह खुलकर सामने आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अब यह देखना रोचक होगा कि नगर पालिका अध्यक्ष किन पांच पाषदों के नाम की गोटियां निकालते हैं।